Chandigarh News: सिंगल यूज प्लास्टिक के इको-फ्रेंडली विकल्प के नाते पैकेजिंग पेपर और पेपरबोर्ड सेगमेंट की मांग अगले दशक में दहाई अंकों में बढ़ने की उम्मीद है। इंडियन पेपर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) के प्रेसिडेंट एवं नैनी पेपर्स लिमिटेड के एमडी श्री पवन अग्रवाल ने यह बात कही। वह इंडियन पल्प एंड पेपर टेक्निकल एसोसिएशन (आईपीपीटीए) द्वारा बैरियर कोटिंग ऑफ पेपर टु रिप्लेस सिंगल यूज प्लास्टिक विषय पर आयोजित सेमिनार में अपने विचार रख रहे थे। इस दौरान आईपीपीटीए के प्रेसिडेंट श्री पवन खेतान, वाइस प्रेसिडेंट श्री एस. वी. आर. कृष्णन और महासचिव श्री एम. के. गोयल ने भी संबोधित किया।
आंकड़े बताते हैं कि 2.3 करोड़ टन के कुल घरेलू पेपर मार्केट में से 1.5 करोड़ टन की हिस्सेदारी पैकेजिंग पेपर एवं बोर्ड की है। पिछले कुछ वर्षों में इसमें 8 से 9 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई है। श्री अग्रवाल ने कहा कि एफएमसीजी, फार्मा और फूड एंड बेवरेज सेक्टर के अग्रणी ब्रांड्स की तरफ से व्यापक मांग निकल रही है। विभिन्न सेगमेंट में इसके प्रयोग को बढ़ाने के लिए पेपर की बैरियर कोटिंग जरूरी है।
आईपीपीटीए के प्रेसिडेंट श्री पवन खेतान ने कहा कि कागज ही सिंगल यूज प्लास्टिक का एकमात्र ऐसा विकल्प है, जो तकनीकी रूप से व्यावहारिक, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है। वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक का उत्पादन सालाना 50 करोड़ टन तक पहुंच गया है। इसमें करीब 24 करोड़ टन (औसतन 30 किलोग्राम प्रति व्यक्ति) कचरा बन जाता है। इससे पर्यावरण प्रदूषण होता है। बैरियर कोटेड पेपर से सुरक्षित एवं बायोडिग्रेडेबल व रीसाइकिल किया जा सकने वाला विकल्प मिलता है। इसमें निवेश करते हुए हम पर्यावरण संरक्षण एवं सर्कुलर इकोनॉमी के मामले में उल्लेखनीय उपलब्धि पा सकते हैं। 2030 तक बैरियर कोटेड पेपर का बाजार वैश्विक स्तर पर 11 अरब डॉलर का हो जाने का अनुमान है। यह 5 प्रतिशत की सालाना वृद्धि दिखाता है। भारत की बड़ी आबादी और युवाओं को देखते हुए इसमें से 10 प्रतिशत मांग यहां के विभिन्न सेक्टर से निकलने की उम्मीद है।