Chandigarh News:  स्थित पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट को गुरुवार 22 मई को बम से उड़ाने की धमकी मिली। यह धमकी सुबह साढ़े 11 बजे मेल भेजकर दी गई थी। इसके तुरंत बाद कोर्ट रूम खाली करा लिए गए। वहीं, वकील भी चैंबर से बाहर निकल आए। इसके बाद चंडीगढ़ पुलिस की टीमें जांच के लिए पहुंची।

करीब ढाई घंटे तक बम और डॉग स्क्वायड से खाली किए हाईकोर्ट परिसर की जांच कराई गई। जांच के दौरान एडवाइजरी जारी की गई थी कि अगर कहीं भी किसी को कोई संदिग्ध चीज दिखे तो उसके बारे में तुरंत सूचना दें।

कोर्ट की कार्यवाही भी 2 बजे तक स्थगित कर दी गई थी। हालांकि, पूरी जांच के दौरान कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली है। इसके बाद 2 बजे हाईकोर्ट का मुख्य गेट खोल दिया गया और सभी वकील अंदर जाते हुए नजर आए।

हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी: हाईकोर्ट बार एसोसिएशन (HCBA) की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि आज हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। इसके बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट को हाई अलर्ट पर रखा गया है। अलर्ट के बाद सभी न्यायालय कर्मियों और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल एहतियाती कदम उठाए जाने शुरू कर दिए गए हैं।
कोई भी लावारिस वस्तु न छुएं: HCBA के सचिव गगनदीप जम्मू के अनुसार, बार के सभी सदस्यों से सतर्क रहने और अदालत परिसर में पाई जाने वाली किसी भी संदिग्ध या लावारिस वस्तु की सूचना तुरंत HCBA कार्यालय को देने का आग्रह किया गया है। एहतियातन सभी सदस्यों से अदालत कक्षों को तुरंत खाली करने का अनुरोध किया गया है। आज दोपहर 2 बजे भोजनावकाश के बाद अदालती कार्यवाही पुनः शुरू होगी।
जागरूकता बढ़ाने पर बल दिया: अधिकारियों ने खतरे का खुलासा नहीं किया है, लेकिन HCBA ने जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया है। सुरक्षा उपायों को बढ़ा दिया गया है। न्यायालय प्रशासन स्थिति का आकलन करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

जनरल रजिस्ट्रार ने बयान जारी किया था
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल की ओर से जारी बयान में कहा कि धमकी भरी ईमेल मिलने के बाद चंडीगढ़ पुलिस और बम निरोधक दस्तों को कोर्ट परिसर की जांच के लिए तैनात किया गया है और वकीलों को न्यायालय से बाहर जाने के लिए कहा गया है। कोर्ट दोपहर 2 बजे से पुनः खुलेगा।

रजिस्ट्रार ने कहा- पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के अनुरोध पर वकील वर्चुअल माध्यम से कार्यवाही में शामिल हो सकते हैं। माननीय मुख्य न्यायाधीश की इच्छानुसार, यदि कोई वकील शारीरिक रूप से या वर्चुअल रूप से न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ है तो उसके खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया जाएगा।