• राणा प्रीत गिल की पुस्तक ‘द गदर मूवमेंट’ का विमोचन

(Chandigarh News) चंडीगढ़। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में प्रसिद्ध लेखिका और पशु चिकित्सा अधिकारी राणा प्रीत गिल की पांचवीं पुस्तक ‘द गदर मूवमेंट’ का विमोचन किया गया। यह पुस्तक ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ हुए एक साहसी लेकिन लेकिन कम चर्चित क्रांतिकारी आंदोलन पर प्रकाश डालती है।गहन शोध और प्रभावशाली शैली में लिखी गई यह पुस्तक 1913 में अमेरिका में बसे भारतीय प्रवासियों द्वारा शुरू किए गए अंतरराष्ट्रीय विद्रोह की कहानी को सामने लाती है।

पुस्तक का विमोचन राहुल भंडारी, प्रमुख सचिव, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य विभाग, पंजाब सरकार द्वारा किया गया

लाला हरदयाल और कर्तार सिंह सराभा जैसे क्रांतिकारियों के नेतृत्व में गदरियों का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश-भारतीय सेना में विद्रोह भड़काना और हथियारों की तस्करी के ज़रिए देश को आज़ाद कराना था। हालांकि यह आंदोलन अपने तत्कालिक उद्देश्य में सफल नहीं हुआ, लेकिन इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक अमिट छाप छोड़ी।पुस्तक का विमोचन राहुल भंडारी, प्रमुख सचिव, पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य विभाग, पंजाब सरकार द्वारा किया गया।

इस अवसर पर प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. हरीश पुरी और प्रो. चमन लाल (सेवानिवृत्त जेएनयू प्रोफेसर और भगत सिंह आर्काइव्स के मानद सलाहकार) भी उपस्थित रहे। दोनों विशेषज्ञों ने इस महत्वपूर्ण लेकिन उपेक्षित क्रांतिकारी अध्याय को सामने लाने के लिए राणा प्रीत गिल की सराहना की।इस अवसर पर राणा प्रीत गिल ने कहा कि यह पुस्तक उन भूले-बिसरे नायकों को मेरी श्रद्धांजलि है, जिन्होंने विदेशी धरती से स्वतंत्र भारत का सपना देखा और उसे साकार करने के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया। उनकी बहादुरी और बलिदान को हमेशा याद रखा जाना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि गदर आंदोलन भले ही अपने लक्ष्य में पूरी तरह सफल न हुआ हो, लेकिन उसने वह चिंगारी जलाई जिसने भगत सिंह जैसे भविष्य के क्रांतिकारियों को प्रेरित किया। इस कहानी को बार-बार सुनाए जाने की आवश्यकता है।
अपने पूर्व उपन्यासों और पत्रकारिता लेखन के लिए जानी जाने वाली राणा प्रीत गिल ने इस पुस्तक में भी शोध और संवेदनशीलता का अनूठा संयोजन पेश किया है, जो इतिहास प्रेमियों और देशभक्तों के लिए एक प्रेरणादायक पठन सामग्री है।

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