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Anthony Fauci is Joe Biden’s kryptonite: जो बिडेन का क्रिप्टोनाइट है एंथोनी फौसी

क्या भारत में एक मध्यम वर्ग का बच्चा है जो सुपरमैन से नहीं मिला है, जो नायक को बचाता है…

4 years ago

Idea, not theory, not a question of political future? विचार,सिद्धांत नहीं राजनैतिक भविष्य का सवाल?

  स्वर्गीय राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में 1985 में भारतीय संसद ने 52वें संविधान संशोधन के द्वारा ‘दल-बदल विरोधी क़ानून’ पारित किया था। इस क़ानून…

4 years ago

Uttar Pradesh – In the election year, the “Brahmin Voter” became the focal point of politics! उत्तर प्रदेश – चुनावी वर्ष में “ब्राह्मण मतदाता” बने राजनीति का केंद्र बिंदु!

हमारे देश में कोई लाख कहें या प्रयास करें कि देश को जातिगत चुनावी राजनीति से जल्द से जल्द मुक्ति…

4 years ago

Adityanath is the ideology of BJP! भाजपा की विचारधारा हैं आदित्यनाथ!

यह किसी से छिपा नहीं है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ही भाजपा का नीति नियंता है। वह अपनी हिंदुत्व…

4 years ago

Jitin’ Prasad will make a hole in whose boat! जितिन प्रसाद  किसकी नाव में छेद करेंगे!

पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जितिन प्रसाद को अपनी पार्टी में लाकर भाजपा के नेता बहुत उत्साहित हैं। उनको लगता है, उन्होंने कांग्रेस और ख़ासकर राहुल गांधी की कोटरी में सेंध लगा दी है। इस तरह उन्होंने राहुल गांधी का क़द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष और बौना कर दिया है। ऊपरी तौर पर यह कहा भी जा सकता है। किंतु कई बार चीजें वैसी नहीं होतीं, जैसी कि वे ऊपर से दीखती हैं। किसी भी राजनीतिक दल के जो आयाराम-गयाराम होते हैं, वे कब गच्चा दे जाएँगे पता नहीं। ये लोग पार्टी का संख्या बल ज़रूर बढ़ा देते हैं लेकिन उसकी शक्ति नहीं बढ़ाते। इस बात की भी पूरी संभावना बनी रहती है, कि ऐसे लोग ज़ान-बूझ कर प्रतिद्वंदी पार्टी द्वारा भेजे गए हों। इसलिए भाजपा के नेता जिस तरह से उलरे-उलरे घूम रहे हैं, कल को धड़ाम भी हो सकते हैं। क्योंकि ये दोनों युवा नेता जानते हैं कि भाजपा की जो रीति-नीति रही है, उसमें ये सदैव पराये ही रहेंगे। जिन सुषमा स्वराज ने भाजपा को सब कुछ सौंपा, उन्हें क्या मिला सिवाय वंचना, प्रताड़ना और उपेक्षा के। इसीलिए वे 67 की उम्र में ही चल बसीं। दूसरा उदाहरण गोपीनाथ मुंडे का है। महाराष्ट्र के इस तेज-तर्राक नेता, जो मोदी सरकार का कैबिनेट मंत्री था, को एक इंडिका गाड़ी टक्कर मार देती है और उनकी मृत्यु हो जाती है। आज तक उनकी मृत्यु की जाँच तक नहीं हुई। भाजपा में उसी के बल्ले-बल्ले हैं, जो नागपुर की पसंद हो। ऐसे में ये दोनों महत्त्वाकांक्षी नेता कहाँ खपेंगे! फिर प्रश्न उठता है कि ये गए ही क्यों? इसके कई मायने निकाले जा सकते हैं। हो सकता है, कि कांग्रेस में एक गुट युवा नेतृत्त्व को बढ़ावा नहीं देना चाहता, इसलिए इनको कांग्रेस के राहुल ख़ेमे में रह कर अपना भविष्य न दिख रहा हो। दूसरे यह भी हो सकता है, कि ये कांग्रेस द्वारा ही आरोपित पौधे हों। क्योंकि राजनीति खेलने में कांग्रेस के आगे अभी भाजपा पासंग ही है। तीसरे, भाजपा इन नेताओं को ब्लैकमेल कर अपने पाले में लाई हो। बहरहाल कुछ भी हो, लेकिन इतना तय है कि भाजपा ने जो सोच रखा है, वैसा नतीजा फ़िलहाल तो नहीं मिलने वाला है। जितिन प्रसाद का उपयोग भाजपा उत्तर प्रदेश में करना चाहती है, ताकि वह राज्य में ब्राह्मणों के बिगड़े सुरों को साध सके। इस लालच के फेर में जितिन आ सकते हैं। मगर जितिन को इस बात से मुँह फेर रखना चाहिए कि ख़ुदा-न-ख़ास्ता 2022 में भाजपा जीत भी गई तो पार्टी आला कमान उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपेगा। वे अधिक से अधिक एक मोहरे के तौर पर इस्तेमाल होंगे। मोदी-शाह-नड्डा की टोली उन्हें योगी आदित्यनाथ के ख़िलाफ़ एक बिजूके के रूप खड़ा कर रही है। उसकी उपयोगिता बस दिखाने भर की ही होती है। अगर जितिन प्रसाद इसे समझ रहे हैं, तब तो ठीक है। लेकिन यदि वे सीरियस हो गए तो फिर डूबना तय है।  भाजपा के केंद्रीय नेतृत्त्व को दो चीजों का ख़तरा दिख रहा है। एक तो यह कि बंगाल की पराजय के बाद यूपी में डूबना लगभग तय है। यहाँ पर पब्लिक का योगी सरकार से असंतोष तो है ही, किसानों का प्रदर्शन भी उसे डुबोएगा। ऊपर से कोरोना की दूसरी लहर को सँभालने में दोनों सरकारों की नाकामी भी। अगर यूपी में विधानसभा में हारे तो 2024 की लोकसभा में नरेंद्र मोदी का हारना पक्का। इसके अतिरिक्त यदि सारी नाकामियों के बावजूद यूपी में भाजपा योगी आदित्य नाथ की अगुआई में जीत गई तो फिर अगले प्रधानमंत्री के लिए योगी मोदी पर भारी पड़ेंगे। इसलिए येन-केन-प्रकारेण योगी के पर काटना मोदी की प्राथमिकता है। योगी के विरुद्ध एक आरोप तो यह है कि उन्होंने प्रदेश में जम कर राजपूतवाद चलाया है इसलिए भाजपा का एक सॉलिड वोट-बैंक ब्राह्मण बहुत नाखुश है। लेकिन भाजपा के अंदर कोई क़द्दावर ब्राह्मण चेहरा नहीं है, जो पूरी दबंगई के साथ योगी को टक्कर दे सके। बिकरू कांड से लेकर हाथरस और अब अलीगढ़ कांड तक योगी की प्राथमिकता राजपूत अधिकारियों को बचाने की रही है। किंतु योगी के ख़िलाफ़ प्रदेश में कोई खुल कर सामने नहीं आया। उत्तर प्रदेश मूल के और गुजरात कैडर के आईएएस अरविंद शर्मा को उत्तर प्रदेश विधान परिषद में भिजवा कर मोदी ने सोचा था, कि योगी के समानांतर वे अरविंद शर्मा को खड़ा कर लेंगे। लेकिन अफ़सरी अलग विधा है और राजनीति अलग। अरविंद शर्मा को कोई सपोर्ट नहीं मिला और वे टाँय-टाँय फिस्स रहे। ऐसे में भाजपा को लगा होगा कि कांग्रेस से किसी ब्राह्मण चेहरे को सामने लाया जाए और इसी रणनीति के तहत जितिन प्रसाद को लाया गया।  लेकिन जितिन प्रसाद को ख़ुद को ब्राह्मण साबित करना बहुत मुश्किल है। जितिन प्रसाद की न तो पत्नी ब्राह्मण हैं, न माँ न ही दादी। उनकी स्थिति ब्राह्मणों के बीच वैसी ही है जैसी राहुल गांधी की। हालाँकि राहुल गांधी की दादी ब्राह्मण थीं। जितिन प्रसाद का सरनेम सिंह है, जो राजपूत होने का संकेत देता है। उनके मामा हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह हैं। इस तरह वे कौन-से ब्राह्मण चेहरे होंगे। उत्तर प्रदेश में जाति एक कड़वी सच्चाई है। वह धार्मिक एकता से ऊपर है। अगड़ी जातियों में यहाँ ब्राह्मणों और राजपूतों में भारी टकराव रहता है। एक तो संख्या भी आसपास और ताक़त भी बराबर की। कोई किसी का दबैल नहीं। यह सच है कि मुलायम-अखिलेश और मायावती के समय ये ठाकुर-ब्राह्मण पावर बैलेंसिंग का खेल खेलते हैं। उस समय में वे अपनी संख्या के हिसाब से हिस्सा माँग कर इधर या उधर सेट हो जाते हैं। किंतु कांग्रेस व भाजपा के समय इन जातियों को लगता है कि ये अपने दबाव से सत्ता पा सकती हैं। 1989 के बाद से यहाँ कांग्रेस साफ़ हो गई और भाजपा ने पाँच बार सरकार बनाई। पहले 1991 में, तब विधान सभा में भाजपा को बहुमत मिला लेकिन सोशल इंजीनियरिंग के फ़ार्मूले के तहत पिछड़े समुदाय के कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद तीन बार मायावती के साथ मिली-जुली सरकार बनी, उसमें एक बार कल्याण सिंह, एक बार रामप्रकाश गुप्ता और फिर एक बार राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री बने। 2017 में जब भाजपा प्रचंड बहुमत से विधानसभा में आई तब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने। इस तरह से पिछले 32 वर्षों से उत्तर प्रदेश में कोई ब्राह्मण मुख्यमंत्री नहीं बना। उसके आख़िरी मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे, जो कांग्रेस सरकार में थे।  यूँ भी जब कोई ग़ैर राजनीतिक व्यक्ति सरकार चलाएगा तो वह उन्हीं लोगों से घिरेगा, जो उसकी बिरादरी के होंगे। योगी उन लोगों से घिरते रहे, जिनके लिए बिरादरी के अतिरिक्त और कुछ नहीं। नतीजा यह हुआ कि ब्राह्मण अभी बीजेपी के साथ है लेकिन योगी से उसका मोह भंग हुआ है। अब भले ऊपरी तौर पर उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव और डीजीपी ब्राह्मण हो लेकिन सब को पता है कि सूत्रधार कोई और है। शायद अपनी इसी छवि को दुरुस्त करने के लिए योगी सरकार ने प्रदेश में मुख्य चुनाव आयुक्त अनूप पांडेय को बनाया है। लेकिन सच बात यह है कि शासन को नीचे तक ले जाने का काम डीएम-एसपी का होता है और उसमें अधिकतर संख्या एक ख़ास बिरादरी के अफ़सरों की है। यह अफ़सरशाही का फ़ेल्योर है कि अलीगढ़ में ज़हरीली शराब से 117 लोगों के मरने की सूचना है किंतु कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया। इसी तरह गंगा में जब लाशें मिलीं तो गंगा तटवर्ती ज़िलों के अधिकारियों से पूछताछ नहीं हुई।  ऐसे में जितिन प्रसाद का पटाखा भाजपा के लिए ऐसी सीली हुई बारूद है जो उसके ही हाथों में फट सकती है। योगी उत्तर प्रदेश की नैया पार नहीं करवा सकेंगे और जितिन प्रसाद के पास अपना कोई वोट बैंक नहीं है। उधर पिछड़ा वोट बैंक अब योगी द्वारा केशव मौर्या की उपेक्षा के चलते फिसल गया है। जब वोट नहीं हैं तो मोदी किसके बूते अब 2024 की तैयारी करेंगे। हिंदू-मुस्लिम कार्ड की असलियत भी लोग समझ चुके हैं। योगी बस इतना अर्दब में आए कि वे दिल्ली आकर शाह और मोदी से मिल लिए।  

4 years ago

Mukul Rai left BJP and reached TMC, told Didi the leader of the country: मुकुल राय भाजपा छोड़फिर पहुंचे टीएमसी , दीदी को बताया देश का नेता

मुकुल रॉय आखिरकार भाजपा को छोड़कर घर वापसी कर चुके हैं। टीएमसी में आज मुकुल राय ने वापसी कर ली।…

4 years ago

Cases decreased in corona epidemic but death toll is worrying: कोरोना महामारी मेंमामले घटे लेकिन मौतों का आंकड़ा चिंताजनक, चौबीस घंटे में3400 मौतें

भारत मेंकोरोना वायरस की दूसरी लहर हालांकि अब थोड़ी थमती हुई दिख रही है लेकिन इसकी तीव्रता कम होती नहीं…

4 years ago

Mehndi Hassan used to connect hearts with Ghazals: गजल से दिलों को जोड़ते थे मेहंदी हसन

गजल गायक मेहंदी हसन का भारत से विशेष लगाव रहा था। उन्हे जब भी भारत आने का मौका मिलता वे…

4 years ago

Corona Pandemic – Highest number of deaths in a single day: कोरोना महामारी- एक दिन अब तक की सबसे ज्यादा मौतें, 24 घंटे में 6148 मरीजों की गई जान

देश मेंकोरोना वायरस महामारी के कारण लाखोंलोग संक्रमित हुए। इस महामारी ने हजारोंको काल के गाल में समा दिया। लेकिन…

4 years ago

Chor-chor mausere bhaee: चोर-चोर मौसेरे भाई

सन् १९८५ में ५२वें संविधान संशोधन ने राजनीतिक दलों के मुखिया को अपने द लके अंदर सर्वशक्तिमान बना डाला जिसने…

4 years ago