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Tenders for Uttarakhand’s projects will no longer be given to Chinese companies: उत्तराखंड की परियोजनाओं का टेंडर अब चीनी कंपनियोंको नहीं मिलेगा

देश के राज्य उत्तराखंड की बड़ी परियोजनाओंमें अब चीन की कंपनियांहिस्सा नहीं ले पाएंगी। चीनी कंपनियों को रोकने के लिए…

5 years ago

First of all, malaria should be banished! पहले मलेरिया को तो भगाया जाए!

आज कोरोना का टीका ईजाद कर लेने के दावे किए जा रहे हैं, किंतु कोरोना भी इतना बेशर्म है कि बार-बार अपना रूप बदल रहा है। पहले वुहान से आया। पूरा 2020 इसी के लपेटे में रहा। अब दो हफ़्ते पहले ग्रेट ब्रिटेन के कोरोना स्ट्रेन का पता चला और अब साउथ अफ़्रीका से नया स्ट्रेन आ गया। इसलिए कितनी बार टीके लगवाने पड़ेंगे, यह क्लीयर नहीं है। लेकिन किसी सरकार ने आज तक अपने वैज्ञानिकों को इस खोज में नहीं लगाया कि वह जुक़ाम को जड़ से समाप्त कर सके। मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया को भगा सके। इसके अलावा बर्ड फ़्लू का एक नया ख़तरा है। अर्थात् वर्ष 2021 भी सुरक्षित नहीं मान सकते। योरोप के अधिकांश देशों ने लॉक डाउन कर रखा है। यह 31 जनवरी तक जारी रहेगा। लेकिन आज तक कुछ प्रश्न अनुत्तरित हैं, कि क्यों आख़िर सरकार अन्य बीमारियों पर सीरियस नहीं है। क्यों हमारे देश में स्वास्थ्य प्रबंधन का कोई मुकम्मल इंतज़ाम नहीं होता! मुझे इस व्यवस्था के कुछ निजी अनुभव हैं। जैसा आज कोरोना का ख़ौफ़ है, वैसा ही 1996 में डेंगू का ख़ौफ़ था। उसी वर्ष सितंबर की एक सुबह मैं दिल्ली से शताब्दी में बैठ कर कानपुर जा रहा था। कोच में टाइम्स ऑफ़ इंडिया मिला, जिसमें पहले ही पेज पर सिंगल कालम खबर थी, कि दिल्ली में डेंगू आ गया है। उसके पहले डेंगू सिर्फ़ स्वास्थ्य विभाग वाले ही जानते थे। ट्रेन में मुझे ठंड महसूस हुई तो कोच कंडक्टर से कह कर मैंने एसी को मद्धम कराया। सवा ग्यारह बजे कानपुर पहुँच गया। लेकिन तब तक बदन में ताप चढ़ आया था। घर में भी मुझसे कुछ खाया-पीया न गया और बेचैनी रही। अगली रोज़ सुबह मेरी गोमती से वापसी थी। क्योंकि तब कानपुर से सुबह चलने वाली शताब्दी नहीं खुलती थी। मैंने अम्माँ से शाल लिया और स्टेशन आ गया। गोमती के एसी चेयर कार में भी मुझे ठंड लगी और मैंने वही शाल ओढ़ ली। दोपहर ढाई बजे नई दिल्ली स्टेशन से उतर कर सीधे एक्सप्रेस बिल्डिंग स्थित ऑफ़िस पहुँचा। तब जनसत्ता के सम्पादक श्री राहुल देव थे। वे मुझे देखते ही बोले, शंभू जी आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही? मैंने कहा, जी कुछ बुख़ार-सा है। उन्होंने मेरी कलाई पकड़ी और बोले, आपको बुख़ार बहुत अधिक है, आप घर चले जाइए। मैं ऑफ़िस की गाड़ी लेकर यमुना विहार स्थित अपने घर आ गया। शाम को वहीं डॉ. दास को दिखाया। उन्होंने वायरल बताया और दवा दे दी। चौथे दिन रात नौ बजे दैनिक जागरण के मालिक/संपादक नरेंद्र मोहन जी का फ़ोन आया, तो पत्नी ने बताया कि उनको बुख़ार है, सो रहे हैं। उन्होंने पत्नी से कहा, बहूरानी उन्हें फ़ौरन अस्पताल ले जाओ और ब्लड चेक कराओ। पत्नी ने मुझे जगाया और सारी बातचीत सुनाई। मैंने कहा ठीक है चलो पास के नर्सिंग होम में डेंगू चेक करा लें। अगली रोज़ रिपोर्ट आई और उसमें बताया गया कि टायफ़ाइड है। राहत की साँस ली, कि डेंगू नहीं निकला। टायफ़ाइड की एक दवा बहुत महँगी आती थी। रोज़ सुबह-शाम खाई। सुबह को बुख़ार नहीं होता पर शाम को फिर 103 या उससे अधिक होता। अंत में उन नर्सिंग होम वालों ने भरती कर लिया। न जाने कितनी बोतलें ग्लूकोस चढ़ा किंतु सब व्यर्थ। कुल बीस हज़ार देकर मैं घर आ गया। बुख़ार, कमजोरी और कफ के कारण मेरा खड़ा होना मुश्किल। लाठी लेकर बाथरूम जाता था। लंबी-चौड़ी काया सूख कर छुहारा बन चुकी थी। अपनी याद में में पहली बार इतना बीमार पड़ा था, अन्यथा पिछले तीस वर्षों में कभी मुझे बुख़ार तक नहीं आया था। कानपुर से सब रिश्तेदार आए और मेरी हालत देख कर लौट गए। सब को लग गया, कि अब शंभू बचेंगे नहीं। और सब अपने-अपने काम-धंधे में लग गए। उस समय मेरी उम्र मात्र 41 साल की थी। और मेरा वेतन ही आय का अकेला सहारा। जो तब कोई 15 हज़ार रहा होगा। तीन बेटियाँ और पत्नी। क्या होगा सबका? यह फ़िक्र मुझे परेशान किए थी। मौत सामने खड़ी दिखती थी। एक दिन दफ़्तर से संजय द्वय (संजय सिन्हा और संजय सिंह) को बुलाया। संजय सिन्हा ने तब एक फ़िएट कार ख़रीदी थी। उनकी गाड़ी में बैठ कर दरियागंज के डॉक्टर भार्गव के पास गया। उनकी फ़ीस तब 200 रुपए थी। उन्होंने टायफायड की दवा थोड़ी और महँगी तथा और ऊँचे डोज़ की लिख दी। एक हफ़्ते फिर देखा। मेरी हालत ख़राब होती जा रही थी। मेरे एक किसान मित्र वीर सिंह गुर्जर नोएडा के चौड़ा रघुनाथपुर गाँव (सेक्टर 22) से रोज़ मुझे देखने आते और अपने घर से एक कैंटर (पाँच किलो वाला) श्यामा गाय का दूध भी लाते, जो उनके घर में ही पली थी। वे मेरे पाँव दबाते, किंतु मृत्यु अग़ल-बग़ल खड़ी थी। बस दबोचने को आतुर। एक दिन रीवाँ (मध्य प्रदेश) से राज्य युवक कांग्रेस के महासचिव श्री ब्रजेश पांडेय  मुझे देखने आए। मेरी हालत देख कर वे तो रो दिए। बोले, कि कल मैं महाराज (माधवराव सिंधिया) से एम्स के निदेशक डॉक्टर दवे को फ़ोन करवाता हूँ। वहाँ पक्का इलाज होगा। वे दिल्ली में आईटीओ के क़रीब भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (आईआईपीए) के गेस्ट हाउस में ठहरे थे। वहाँ इंदौर के कोई प्रोफ़ेसर तिवारी थे, उनकी पत्नी डॉक्टर नीरा तिवारी पहले मेडिकल कालेज में मेडिसिन की प्रोफ़ेसर रह चुकी थीं। लेकिन फिर नौकरी छोड़ दी। और उस समय घर पर ही झुग्गी/झोपड़ी में रहने वालों को यूँ ही देख लेती थीं। पांडेय जी उसी समय मुझे उनके पास ले गए। उन्होंने पूरी केस हिस्ट्री सुनी। अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट देखी। बोलीं, कि यह रिपोर्ट ग़लत लग रही है। आपको टायफायड नहीं है। कल आप लक्ष्मी नगर आ जाइएगा, वहाँ मेन रोड पर अनसुइया लैब में आपका अल्ट्रासाउंड दोबारा कराऊँगी। अगले दिन पांडेय जी मेरे घर आए और ऑटो में मुझे वहाँ ले गए। वह लैब दूसरी मंज़िल पर थी और मैं सीढ़ियाँ चढ़ ही नहीं पा रहा था। पांडेय जी मुझे टाँग कर ले गए। अल्ट्रासाउंड हुआ और उस लैब की हेड डॉक्टर अनसुइया त्यागी ने कहा, कि आपको टायफ़ाइड नहीं मलेरिया हुआ है। यह सुन कर मैं सन्न रह गया। मलेरिया अर्थात् डेंगू! मेरे मुँह से निकला। बोलीं नहीं, सामान्य मलेरिया है। लेकिन मुझे कमरे से बाहर कर वे महिलाएँ कुछ मन्त्रणा करती रहीं। डॉक्टर तिवारी अपनी गाड़ी में बिठा कर मुझे अपने घर ले गईं। वहाँ जाकर एक दवा लिखी और कहा, इसे ले लेना। बुख़ार अभी उतर जाएगा, लेकिन आएगा फिर। किंतु तब आप मेरे पास न आना, किसी सरकारी अस्पताल में जाना। मलेरिया का इलाज एम्स या आरएमएल में ही बेहतर होगा। वाक़ई एक ही डोज़ में मैं फ़िट हो गया। बुख़ार ग़ायब। तीन-चार दिन बाद मैं अपने घर से बाज़ार तक जाने लगा। इस बीच दो बातें हुईं। मेरे एक मित्र सिंगापुर घूम कर लौटे थे। उन्हें लखनऊ अपने घर जाना था, किंतु इसी बीच उनको मेरी बीमारी की खबर पता चली तो सीधे मेरे घर आए। चलने लगे तो चुपके से एक बोतल ब्लू लेबल की बोतल धीरे से मेरे बेड के नीचे सरका दी, और कहा, कि जब ठीक हो जाएँ तब ले लेना। तब तक इस तरह की शराब भारत में सहज उपलब्ध नहीं थी। पत्नी ने देख लिया। कुछ नहीं बोलीं, लेकिन शाम को जब वीरसिंह गुर्जर आए, तो उन्होंने कहा, भाई साहब ये आप ले जाओ। अगली शाम जब वे फिर आए, तो मैंने पूछा- कैसी लगी? बोले- मज़ा नहीं आया भाई साहब! मैंने कहा, हर चीज़ हर आदमी को नहीं पचती और माथा पकड़ कर बैठ गया। मैंने कहा, तुम आज दो ठर्रा और पी लेना। अब मैं ठीक होने लगा था। किंतु हफ़्ते भर बाद ही फिर पलट गया। बुख़ार 104 तक पहुँचा। मैंने नीरा तिवारी को फ़ोन किया, उन्होंने कहा कि कल आप किसी सरकारी अस्पताल में जाना। मेरठ में हमारे दोस्त और जनसत्ता के विशेष संवाददाता अनिल बंसल अगले रोज़ सुबह घर आए। मुझे देख कर बोले, भाई साहब आप एक बार NICD (भारतीय संचारी रोग संस्थान) में दिखवा लो। वहाँ के उप निदेशक अपने हापुड़ वाले सत्यप्रकाश सीमन के भाई हैं। अब मेरी बीमारी को दो महीने हो चुके थे। जमा-पूँजी भी समाप्त हो चली थी। इसलिए मैंने यमुना विहार से NICD, जो कि अलीपुर रोड में आईपी कॉलेज के ठीक सामने है, जाने के लिए ऑटो की बजाय 260 नंबर की बस पकड़ी। सहारे के लिए लाठी उठाई और चल दिया। बस में खूब भीड़ थी। इसलिए बस के पीछे जो गलियारा था, उसी में में बैठ गया। 1996 में डीटीसी की बसें ऐसी ही होती थीं। आईपी कॉलेज पहुँच कर उतर गया और लाठी लेकर उस संस्थान के भीतर दाखिल हुआ। उप निदेशक के कमरे तक पहुँचने के पहले ही एक सुपरवाइज़र मुझे मिल गया और उसने पूछा, क्या बात है? मैंने उसे अपनी दारुण कथा सुनाई। तत्काल उसने दो गोलियाँ दीं और कहा, सामने के नलके से चिल्लू भर पानी के साथ लील जाओ। बस हो गया ट्रीटमेंट मैं लौट आया। अगले दिन से फिर झकास! लेकिन ज़िंदगी में सब कुछ इतना आसान नहीं होता! कुछ दिन मैं ठीक रहा। दीवाली के दो दिन पहले बैद्यनाथ दवा कम्पनी के मालिक पंडित विश्वनाथ शर्मा घर आए। मेरी कमजोर काया देख कर अगले दिन उन्होंने स्वर्णभस्म भिजवा दी। मैंने स्वर्णभस्म खाई और मिठाई भी। गोवर्धन पूजा के दिन कढ़ी, भात और बरा खाए। अचानक शाम को फिर बुख़ार ने जकड़ लिया। अबकी पारा 105 तक पहुँच गया। घर में रोना-पीटना मच गया। घर के सामने बागपत के एक चौधरी साहब रहते थे, जो दिल्ली माध्यमिक शिक्षा विभाग में फ़िज़िक्स के पीजीटी थे। वे आए और मेरे तलवों को रगड़ने लगे। पत्नी से कहा, घबराइए नहीं सुबह तक बुख़ार उतर जाएगा। बस गीली पट्टी माथे पर रखती रहिए। सुबह तक बुख़ार कम हुआ तो मैंने फिर बंसल जी को फ़ोन किया। उन्होंने पूछा, आप सीमन जी से मिले थे? मैंने कहा, नहीं, दवा मिल गई तो मैं लौट आया। उन्होंने सीमन जी को फ़ोन किया। वे कहीं बाहर थे, किंतु मेरे लिए NICD के निदेशक से टाईम फ़िक्स करवा दिया। मैं वहाँ पहुँचा। मुझे फ़ौरन बुलवाया गया। उन्होंने लैब टेक्नीशियन को बुलाया और स्लाइड में ब्लड लेकर चेक किया गया। आधे घंटे बाद उन निदेशक महोदय, जो दक्षिण भारतीय थे, ने मुझे बताया, कि मिस्टर शुक्ला आप बहुत भाग्यशाली हैं। आपको फाल्सी फेरम मलेरिया हुआ था, जिसमें डेथ रेट 75 परसेंट है। उन्होंने एक दवा फ़ौरन खिलाई और एक डबल डोज़ की दवा लिखी, जो मुझे भोजन के ठीक पहले लेनी थी। मैं घर आ गया और वह दवा ले ली। बुख़ार फुर्र हो गया। और मैं यम के चंगुल से निकल आया।

5 years ago

Utterkatha: Opposition to cow-farmer hurts Yogi government: उत्तरकथा : गाय-किसान से विपक्ष ने किया योगी सरकार को हलकान

यूपी में अरसे से सुस्त पस्त पड़ा विपक्ष इन दिनों सड़कें गरमा रहा है। देश व्यापी किसान आंदोलन की आंच…

5 years ago

Problem and solution: समस्या और समाधान

अक्सर हम ऐसी खबरों से दो-चार होते हैं जहां कोई ठग किसी को नोट दोगुने करने का लालच देकर मूल…

5 years ago

Farmer movement- farmers ‘tractor march’ against government’s agricultural law, police recording video: किसान आंदोलन- किसानों का सरकार के कृषि कानून के खिलाफ ‘ट्रैक्टर मार्च’ , पुलिस कर रही वीडियो रिकॉर्डिंग

नई दिल्ली। केंद्र द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन बीते कई दिनों से जारी है।…

5 years ago

Congress will be strengthened by Rahul’s strategy: राहुल की रणनीति से मजबूत होगी कांग्रेस

एक अज्ञात विदेशी गंतव्य के लिए छोड़कर, 136 वें स्थापना दिवस से एक दिन पहले कांग्रेस, राहुल गांधी ने अपनी…

5 years ago

Farmer Movement: We are committed for the betterment of farmers, hope for solution in Friday’s talks- Agriculture Minister Narendra Singh Tomar: किसान आंदोलन: हम किसानों की भलाई के लिए वचनबद्ध , शुक्रवार की वार्ता में समाधान की उम्मीद- कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर किसानों से लगातार बातचीत कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार…

5 years ago

The Supreme Court approved the Central Vista project, the way for the new parliament building to be cleared: सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा परियोजना को दी मंजूरी, नए संसद भवन बनने का मार्ग हुआ साफ

नई दिल्ली। भारत में नए संसद भवन के निर्माण के लिए अब सुप्रीम कोर्टकी भी मंजूरी मिल गई। नए संसद…

5 years ago

Corona virus – 20 more people exposed to new strains, number of infected reached 58 in the country: कोरोना वायरस – नए स्ट्रेन से संक्रमित 20 और लोग सामने आए, देश में संक्रमितों की संख्या पहुंची 58

नई दिल्ली। कोरोना महामारी ने पूरेविश्व में अपना भयानक रूप दिखाया। करोड़ों लोग इस महामारी से पीड़ित हुए और लाखों…

5 years ago