यहां से 6 बार चुनाव जीत चुके हैं कांग्रेस प्रत्याशी, फिर आप की लहर ने बदली तस्वीर
इस बार आप को कांग्रेस और शिअद से मिल सकती है कड़ी टक्कर
Ludhiana Bypoll Update (रोहित रोहिला), चंडीगढ़। पंजाब के लुधियाना पश्चिम विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव में चुनावी बिगुल बज गया है। इसके साथ ही मौसमी गर्मी के साथ ही राजनीतिक पारा भी उफान पर आएगा। यह उपचुनाव प्रदेश की सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए अहम है। आम आदमी पार्टी को यह चुनाव इसलिए जीतना जरूरी है क्योंकि इस सीट पर पहले उन्हीं के नेता विधायक बने थे।
जिनकी मौत के बाद यह सीट खाली हुई और अब उपचुनाव हो रहे हैं। वहीं कांग्रेस दोबारा से प्रदेश की राजनीति में अपनी मौजूदगी मजबूत करना चाहती है। वहीं शिअद की वर्चस्व की लड़ाई में यह जीत उसके लिए जरूरी है। इसके साथ ही भाजपा भी चाहती है कि वह ये चुनाव जीतकर नई ऊर्जा के साथ विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारियों में जुट जाए।
तीन पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी
उपचुनाव के लिए 19 जून को मतदान होगा और 23 जून को नतीजे घोषित किए जाएंगे। आम आदमी पार्टी (आप) के मौजूदा विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी की गोली लगने के मौत के बाद यह सीट खाली हुई सीट थी। आप, कांग्रेस और शिअद ने अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। इस सीट पर मुकाबला कड़ा माना जा रहा है। क्योंकि कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने भी इस सीट पर मजबूत उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जोकि आप उम्मीदवार को कडी टक्कर देंगे।
ऐसे में आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने भी इस सीट पर उपचुनाव को लेकर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। यह सीट आप के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी है। ऐसे में अब आने वाले दिनों में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ते पारे के साथ तेज होंगी। इस विधानसभा सीट पर अब तक छह बार चुनाव जीत कर कांग्रेस का दबदबा रहा है, जबकि दो बार अकाली भाजपा के उम्मीदवार यहां से विधायक बने। इसके अलावा एक बार जेएनपी के उम्मीदवार ने भी जीत दर्ज की। अरविंद केजरीवाल और सीएम भगवंत मान भी इस सीट पर चुनावी सभाएं कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे है।
1977 में हुआ था हलके का गठन
लुधियाना पश्चिमी विधानसभा हलके का गठन वर्ष 1977 में हुआ था। अब तक इस सीट के लिए नौ बार चुनाव हो चुके हैं। इस सीट पर वर्ष 1977 में जेएनपी पार्टी के नेता ए विश्वनाथन जीत दर्ज कर पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद कांग्रेस के जोगिंदर पाल पांडे ने वर्ष 1980 में जीत दर्ज की। वर्ष 1985, 1992, 2002 में कांग्रेस के हरनाम दास जौहर ने यह सीट पार्टी की झोली में डाली।
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