आईबीआर की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, पिछले साल की अपेक्षा ब्रिटिश कंपनियों ने 61 प्रतिशत से ज्यादा निवेश किया

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वर्तमान समय में वैश्विक परिवेश में व्यापार का रूप तेजी से बदल रहा है। यह परिवर्तन बीते अप्रैल से शुरू हुआ जब अमेरिका के राष्ट्रपति ने दूसरी बार सत्ता में आने पर नई टैरिफ पॉलिसी लागू की। इसके बाद विश्व के सभी प्रमुख देश जो अमेरिका के साथ बड़ी मात्रा में व्यापार कर रहे थे ने अपनी नीति में बदलाव करना शुरू कर दिया।

भारत भी उनमें से एक है। जब अगस्त में अमेरिका ने भारत पर 50 प्रतिशत का उच्च टैरिफ लगाया तो भारत ने भी अमेरिका की जगह विश्व के अन्य प्रमुख देशों के साथ अपने व्यापार विस्तार में तेजी लाई। ब्रिटेन भी उन देशों में से एक है जिसके साथ भारत ने मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हस्ताक्षर किए हैं।

एफटीए को गेम चेंजर मान रही ब्रिटेन कंपनियां

भारत के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को ब्रिटेन कंपनियां अपने कारोबारी विस्तार की दिशा में गेम-चेंजर मान रही हैं। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, ब्रिटेन की कंपनियां भारत में तेजी से निवेश और संचालन विस्तार की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं। वहीं जिन कंपनियों की भारत में अभी उपस्थिति नहीं है, वे आने वाले महीनों में बाजार में उतरने की तैयारी में हैं।

ग्रांट थॉर्नटन की नवीनतम इंटरनेशनल बिजनेस रिपोर्ट (आईबीआर) के मुताबिक, इस साल 72 प्रतिशत ब्रिटिश कंपनियों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय विकास के लिए एक मुख्य बाजार के रूप में चिन्हित किया है। यह आंकड़ा पिछले साल के 61 प्रतिशत से काफी अधिक है, जो दशार्ता है कि भारत अब ब्रिटिश कंपनियों की वैश्विक रणनीति का अहम हिस्सा बन चुका है।

आने वाले एक साल में होगा भारी निवेश

रिपोर्ट के अनुसार, केवल 28 प्रतिशत ब्रिटिश कंपनियां इस समय भारत में सक्रिय हैं, लेकिन उनमें से 73 प्रतिशत बिना किसी मौजूदा उपस्थिति के अगले कुछ वर्षों में यहां कारोबार शुरू करने की योजना बना रही हैं। इनमें से 13 प्रतिशत कंपनियां अगले 12 महीनों के भीतर भारतीय बाजार में प्रवेश करने की तैयारी में हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (सीईटीए) इस वर्ष जुलाई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूके यात्रा के दौरान हस्ताक्षरित हुआ था।

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