अगले साल लागू होगा समझौता, ब्रिटेन की सरकारी खरीद प्रणाली में मिलेगा सामान अवसर

Business News Hindi (आज समाज), बिजनेस डेस्क : पिछले कुछ वर्षों से भारत वैश्विक स्तर पर अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत कर रहा है। इस के तहत वर्तमान में अमेरिका और ब्रिटेन के साथ बड़े व्यापार समझौतों पर वार्ता चल रही है। एक तरफ जहां ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता हो चुका है वहीं जल्द ही अमेरिका के साथ भी मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने की उम्मीद है। बताया जा रहा है कि भारत और अमेरिका के बीच यह समझौता 9 जुलाई से पहले मूर्त रूप ले लेगा क्योंकि 9 जुलाई को अमेरिका द्वारा नई टैरिफ दरों पर लगाया गया 90 दिन का प्रतिबंध समाप्त हो रहा है।

भारत को ब्रिटेन के साथ समझौते का यह फायदा

भारत और ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) हो चुका है। इसके तहत ब्रिटेन पहली बार भारतीय कंपनियों को सरकारी खरीद प्रणाली में बिना किसी भेदभाव के हिस्सा लेने की अनुमति देगा। दोनों देशों ने छह मई को एफटीए पर वार्ता खत्म की है। इस समझौते को अगले साल लागू किया जाएगा।

बताया जा रहा है कि भारत के साथ हुए इस समझौते में पहली बार ब्रिटेन ने ‘सामाजिक मूल्य’ कानून (सोशल वैल्यू) के तहत हमारे आपूर्तिकर्ताओं (भारतीय कंपनियों) के लिए अपनी सरकारी खरीद प्रणाली में समान अवसर सुनिश्चित करने का वादा किया है।’ ब्रिटेन के सामाजिक मूल्य कानून के तहत सरकारी विभागों को सरकारी अनुबंधों में आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय पहलुओं का ध्यान रखना होता है और इस बार भारतीय कंपनियों को भी इस प्रणाली में समान रूप से शामिल किया जाएगा।

दोनों देशों के बीच इस तरह होगा व्यापार

ब्रिटेन सरकार के मुताबिक, यह व्यापार समझौता ब्रिटेन की कंपनियों को भारत के सरकारी खरीद बाजार में अद्वितीय और अभूतपूर्व पहुंच प्रदान करेगा, जिसमें करीब 40 हजार टेंडर होंगे, जिनकी कुल कीमत हर साल 38 बिलियन पाउंड (लगभग 4 लाख करोड़ रुपये) होगी। दूसरी ओर, भारत ने ब्रिटिश कंपनियों को केवल गैर-संवेदनशील क्षेत्रों में सरकारी खरीद में हिस्सा लेने की अनुमति दी है। हालांकि, ब्रिटेन की कंपनियों को राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों के टेंडरों में भाग लेने की अनुमति नहीं होगी।

भारत यूएई के साथ कर चुका ऐसा ही समझौता

भारत ने यूएई के साथ हुए एफटीए में सरकारी खरीद क्षेत्र को खोला था। उस समझौते के तहत, यूएई की कंपनियों को 200 करोड़ रुपए से ऊपर के टेंडरों में भाग लेने की अनुमति दी गई थी। 2020 में, सरकार ने सार्वजनिक खरीद के नियमों में बदलाव किया, ताकि उन कंपनियों को अधिक प्राथमिकता दी जा सके, जिनके उत्पादों और सेवाओं में 50 फीसदी या उससे अधिक स्थानीय सामग्री हो, ताकि ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिल सके।

ये भी पढ़ें : Gold Price Today : सोना-चांदी की कीमतों में भारी गिरावट