दिल्ली सरकार के आयुष्मान आरोग्य मंदिर योजना पर कांग्रेस ने कसा तंज

Delhi News (आज समाज), नई दिल्ली। एक तरफ जहां दिल्ली की भाजपा सरकार ने गत दिन दिल्ली में 33 आयुष्मान आरोग्य मंदिर का उद्घाटन करते हुए दिल्ली की जनता को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की बात कही है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने दिल्ली सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे दिल्ली की जनता को भ्रमित करने की कोशिश करार दिया है।

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष देवेन्द्र यादव ने एक बयान जारी कर भाजपा सरकार को उसके चुनावी वादों की याद दिलाते हुए कहा कि अनाधिकृत कॉलोनियों और झुग्गी बस्तियों के पास आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोलने का जो वादा भाजपा ने किया था, वह जमीनी हकीकत में बदलने की बजाय कांग्रेस सरकार के समय शुरू हुई डिस्पेंसरियों के नाम बदलने और उनका दोबारा उद्घाटन तक सीमित रह गया है।

पहले से चल रहे थे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

देवेन्द्र यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भारी प्रचार के साथ आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोलने का ऐलान किया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिन 33 केंद्रों को नए मंदिर बताया जा रहा है, उनमें 29 पहले से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 4 उप-केंद्र के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने आरोप लगाया कि रेखा गुप्ता सरकार ने केवल इन पुराने केंद्रों की मरम्मत और रंगाई-पुताई करके उन्हें नया नाम देकर दोबारा उद्घाटन कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया है।

यादव ने कहा कि तीस हजारी में एक पुराने मोहल्ला क्लीनिक को पहला आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में पेश किया गया, जबकि वहां न पर्याप्त स्टाफ है, न दवाइयां, न फार्मासिस्ट, न योग प्रशिक्षक और न ही डाटा एंट्री आॅपरेटर। चार कर्मचारियों के सहारे पूरे केंद्र को मॉडल हेल्थ सेंटर की तरह चलाने की योजना बनाकर भाजपा दिल्लीवासियों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रही है।

स्टाफ की कमी खोल रही सरकार की कलई

देवेन्द्र यादव ने कहा कि इन 33 केंद्रों के सीमित स्टाफ से ही 123 नए केंद्रों को चलाने की योजना बनाई गई है, जिससे हर कर्मचारी को चार-चार केंद्रों की जिम्मेदारी दी जा रही है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से प्राप्त 56.31 करोड़ रुपये के बजट में से केवल 98 मेडिकल आॅफिसर, 123 स्टाफ नर्स, 33 लेडी हेल्थ विजिटर और 33 पब्लिक हेल्थ मैनेजर की नियुक्तियों की बात है, जिससे 123 केंद्रों का संचालन प्रभावी ढंग से संभव नहीं। सरकार की योजना केवल 123 पुराने केंद्रों के नाम बदलने तक ही सीमित है।

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