• मजदूर-कर्मचारी व किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ किया गया था राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान

(Bhiwani News) भिवानी। लेबर कोड रद्द करने, पुरानी पैंशन बहाल करने, कच्चे कर्मचारियों व परियोजना कर्मीयों को पक्का करने, 26 हजार रूपयें न्यूनतम वेतन लागू करने, मंहगाई, बेरोजगारी पर रोक लगाने, नीजिकरण करने वाली नीतियां पर रोक लगाने, मनरेगा में 200 दिन काम व 800 रूपयें दिहाड़ी, निर्माण मजदूरों की सुविधाओं को लागू करने व भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की मांग को लेकर केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों व कर्मचारी संगठनों के आह्वान पर बुधवार को हुई देशव्यापाी हड़ताल सफल रही।

इस मौके पर सभी विभागों से कच्चें-पक्के कर्मचारी, परियोजना कर्मी भवन निर्माण मजदूर-कारिगर, मनरेगा मजदूर, वन मजदूर, ग्रामीण सफाई कर्मी, ग्रामीण चौकीदार, नगर पालिका, पब्लिक हैल्थ, बिजली, शिक्षा बोर्ड, बैंक-बीमा, रोडवेज, नगर पालिका, बीएण्डआर, स्वास्थय विभाग व अन्य विभागों से हजारों मजदूर हड़ताल करके नेहरू पार्क भिवानी में एकत्रित हुए व सभा का आयोजन किया गया।

काम के घण्टे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे तक किया जा रहा

कार्यक्रम की सयुक्त अध्यक्षता सीटू नेता सदीक डाडम, सर्व कर्मचारी संघ नेता सुरजभान जटासरा, इंटक नेता कृष्ण बडसी, एटक नेता ईश्वर शर्मा, एआईयूटीयूसी नेता राजकुमार ने की। मंच संचालन सीटू जिला सचिव कामरेड अनिल कुमार ने किया। ट्रेड यूनियन व कर्मचारी नेताओं ने कहा कि भाजपा सरकार अपने चहेते पूंजीपती घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए लेबर कोड लागू कर रही है।

काम के घण्टे 8 से बढ़ाकर 12 घंटे तक किया जा रहा हैं, सरकार तमाम सरकारी विभागों शिक्षा, स्वास्थय, परिवहन, बिजली, सिचांई, जन स्वास्थय, नगरपालिका, शिक्षा बोर्ड वन विभाग व अन्य तमाम सरकारी क्षेत्र व सार्वजनिक क्षेत्रों को पूंजीपति घरानों को कौडियों के भाव बेचने पर तुली हुई हैं।

पुरानी पैंशन की जगह नई पैशन नीति (यूपीएस) लागू कर रही हैं जिसका नोटिफिकेशन एक अगस्त से लागू कर रही है। आज एक तरफ लाखों बेरोजगार यूवा सडक़ों की खाक छान रहे हैं दूसरी ओर सरकार पक्की भर्ती के स्था

कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर

जिनकों कम वेतन पर काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा हैं और ना ही उनकी कोई स्थाई नौकरी हैं उनकों बार-बार नौकरी जाने का डर सता रहा है। कई-कई सालों से काम कर रही परियोजना कर्मी, ग्रामीण चौकीदार, ग्रामीण सफाई कर्मी, वन मजदूर व अन्य कच्चें कर्मचारीयों को ना ही पक्का किया जा रहा हैं और ना ही उनकों न्यूनतम वेतन मुहैया करवाया जा रहा है। जियों टैग के बहाने ऑनलाईन हाजिरी व कम वेतन व वो भी समय पर ना मिलने के चलते मनरेगा को खत्म किया जा रहा हैं।

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