• महिलाओं ने झूला झूलकर व सांस्कृतिक गतिविधियों में भागीदारी कर लिया तीज पर्व का आनंद

(Bhiwani News) भिवानी। मातृ शक्ति के सम्मान में युवा जागृति एवं जनकल्याण मिशन ट्रस्ट द्वारा बालयोगी महंत चरणदास महाराज के सानिध्य में स्थानीय हनुमान ढ़ाणी स्थित हनुमान जोहड़ी मंदिर धाम में आयोजित किए जा रहे तीन दिवसीय तीज मेला महोत्सव रविवार को अपने पूरे उल्लास पर रहा। यह जानकारी देते हुए पुजारी ध्यानदास महाराज व समाजसेवी रमेश सैनी ने बताया कि कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विधायक घनश्याम सर्राफ की धर्मपत्नी प्रेमलता सर्राफ तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर जींद नगर परिषद की चेयरपर्सन डॉ. अनुराधा सैनी ने शिरकत की।

महोत्सव में पारंपरिक गीतों और नृत्यों की धूम रही

अतिथि महिलाओं ने मौजूद अन्य महिलाओं संग पारंपरिक उत्साह के साथ झूला झूलकर और विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी कर तीज पर्व का आनंद लिया। कार्यक्रम के दौरान मंदिर परिसर में सुबह से ही महिलाओं और युवतियों की भीड़ उमडऩी शुरू हो गई थी, जो रंग-बिरंगे परिधानों में सज-धजकर उत्सव का हिस्सा बनने आई थीं। महोत्सव में पारंपरिक गीतों और नृत्यों की धूम रही। महिलाओं ने समूह में तीज के लोकगीत गाए और पारंपरिक हरियाणवी नृत्यों की प्रस्तुति दी, जिससे पूरे वातावरण में एक उत्सवपूर्ण माहौल छा गया।

विशेष रूप से सजाए गए झूलों पर झूलती महिलाओं की किलकारियां और हंसी-ठिठोली ने पर्व की रौनक को और बढ़ा दिया। कई महिलाओं ने तीज से संबंधित लोक कथाओं और कविताओं का पाठ भी किया, जिससे नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुडऩे का अवसर मिला। ट्रस्ट द्वारा महिलाओं के लिए कई मनोरंजक प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया गया था, जिसमें मेहंदी प्रतियोगिता, रंगोली प्रतियोगिता और लोक नृत्य प्रतियोगिता शामिल थीं।

तीज महोत्सव का मुख्य उद्देश्य मातृशक्ति का सम्मान करना और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना

इस मौके पर बालयोगी महंत चरणदास ने कहा कि इस तीज महोत्सव का मुख्य उद्देश्य मातृशक्ति का सम्मान करना और हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि तीज का पर्व प्रकृति के साथ-साथ नारी शक्ति का भी प्रतीक है और ऐसे आयोजनों से समाज में महिलाओं की भूमिका और महत्व को रेखांकित किया जा सकता है। इस मौके पर विधायक की धर्मपत्नी प्रेमलता सर्राफ व चेयनपर्सन डॉ. अनुराधा सैनी ने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा साबित होते है, जो परंपरा, उल्लास और सामुदायिक भागीदारी का एक सुंदर संगम प्रस्तुत करता है।

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