- पूर्व मंत्री हीरानंद आर्य आजीवन किसानों के लिए रहे समर्पित: कामरेड
Bhiwani News (आज समाज) लोहारू। खरीफ फसल 2023 के 350 करोड़ रुपये बीमा क्लेम घोटाले के विरुद्ध व किसानों की अन्य मांगों को लेकर जारी किसान महापड़ाव के 27 वें दिन धरनास्थल पर किसान नेता एवं पूर्व मंत्री स्व. हीरानन्द आर्य का 88 वां जन्मदिन मनाया गया। इस मौके पर आर्य के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उनको नमन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मास्टर छत्रपाल, कृष्ण बिधनोई, ज्ञानी राम झांझड़ा, सुरेश ढाणी टोडा व अल्का आर्य ने संयुक्त रूप से की तथा मंच संचालन मास्टर जग रोशन, एडवोकेट कविता आर्य पातवान व धर्मपाल बारवास ने किया।
जीवन किसानों के लिए समर्पित
अभाकि सभा के जिला उप प्रधान कामरेड ओम प्रकाश व युवा कल्याण संगठन के संरक्षक कमल सिंह, मनीराम खरबास, अशोक आर्य एडवोकेट व सन्तोष देशवाल आदि ने कहा कि चौधरी हीरानन्द आर्य चार बार लोहारू से विधायक रहे हैं उनका जीवन किसानों के लिए समर्पित रहा। उन्होंने बिजली आंदोलन 1981 व कादमा में 1995 व मंढिय़ाली में 1997 में भाग लिया तथा कई महीने जेल में में बंद रहे। किसानों के ट्यूबवैलों हेतु बिजली फ्लेट रेट व चौथा स्लैब बनवाने में उनका भारी योगदान था। वर्ष 1977 में राज्य के शिक्षा मंत्री बने।
इस दौरान उन्होंने प्रदेश भर में कई नए स्कूल खुलवाकर शिक्षा की अलख का जगाने का काम किया था। उन्होंने अपने कार्यकाल में हजारों अनियमित अध्यापकों को पक्का करवाया। उनके सरल स्वभाव, मिलनसार, साधारण जीवन, ईमानदारी व स्पष्टवादिता के लिए लोग उनके कायल थे। उन्होंने शराबबंदी के लिए राज्य के अलग अलग हिस्सों में घूमकर जन आंदोलन चलाने में मुख्य भूमिका अदा की थी। लोहारू नवाब की किसान व जनता विरोधी नीतियों के विरुद्ध जन आंदोलन में 1935 में लोहारू तहसील के सिंघानी गांव में 23 किसान शहीद हुए थे, उनकी शहादत मनाने व उनकी याद में स्मारक बनवाने में उनका सक्रिय योगदान रहा।
आर्य एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ समाज सुधारक व्यक्तित्व के धनी थे
आर्य एक अच्छे राजनीतिज्ञ होने के साथ साथ एक पक्के आर्य समाजी एवं समाज सुधारक व्यक्तित्व के धनी थे । उन्होंने लड़कियों की शिक्षा, दहेज विरोध, बिना तामझाम के साधारण शादी की रिवाज स्वयं के घर से शुरू की थी, वे जातिवाद, साम्प्रदायिकता, जन्म व मृत्यु भोज के सख्त विरोधी थे, इसके लिए उन्होंने लोहारू इलाके में अनेक पंचायतें करके जागरूकता पैदा की थी।
उन्हीं की विरासत व प्रेरणा लेकर आज किसानों के वर्तमान आंदोलन को सफल बनाना है। इस मौके पर स्व. चौ. हीरानन्द आर्य की धर्म पत्नी वीरमति, सुनीता आर्य, अशोक आर्य एडवोकेट, अलका आर्य, गंगा राम श्योराण, उमेद सिंह नम्बरदार, धर्मपाल बारवास, पूर्व शिक्षा अधिकारी धूप सिंह, शीशराम एडवोकेट, आदित्य आर्य, सुरेश फरटिया, विजय गुरावा, शीशराम मेचू आदि ने संबोधित कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस मौके पर उमेद सिंह नंबरदार गिगनाऊ, जयदेव कासनीकलां, मुकेश नंबरदार कासनीकलां, रामकुमार ढिल्लो, सुमेर सिंह गिगनाऊ, सुबेदार धनपत ओबरा ढाणी, नरेंद्र फरटिया, अमर सिंह फरटिया, ओमप्रकाश आर्य झांझड़ा, रामपाल सिंघानी, धनपत शर्मा, रोहतास झुप्पा, इंद्र सिंह फरटिया, राजेश आर्य चैहड़ कलां, धर्मपाल फरटिया, दलवीर सिंह थानेदार, राजकुमार चैहड़ खुर्द, गायक कलाकार सतवीर, सिरसी, जगदीश बारवास, रामपाल सिंघानी, जिले सिंह पाजू, सहित सैकड़ों की संख्या में किसान उपस्थित रहे।
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