(Bhiwani News) भिवानी। चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय के ओल्ड कैंपस में युवा कल्याण विभाग एवं हरियाणा कला परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सावन महोत्सव ने एक ओर जहाँ लोक-संस्कृति की सजीव झलक प्रस्तुत की, वहीं दूसरी ओर नवागंतुक विद्यार्थियों के लिए नए शैक्षणिक सत्र 2025–26 का शुभारंभ भी अत्यंत मंगलमय वातावरण में हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ हवन यज्ञ से हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने आहुतियां अर्पित कर ज्ञान, समृद्धि एवं संस्कारों की कामना की।

यज्ञ की अग्नि में ध्वनित वैदिक मंत्रों की गूंज और प्रार्थना की पवित्रता ने संपूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। सावन महोत्सव कार्यक्रम की मुख्य संरक्षक कुलपति प्रोफेसर दीप्ति धर्माणी एवं सह संरक्षक कुलसचिव डॉ भावना शर्मा तथा संयोजक डॉ सुरेश मलिक तथा सह संयोजक डीन प्रो सुनीता भरतवाल थे।

सावन केवल एक ऋतु नहीं, बल्कि नवजीवन का प्रतीक

कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि सावन केवल एक ऋतु नहीं, बल्कि नवजीवन का प्रतीक है। जैसे सावन की वर्षा से धरती हरी-भरी हो उठती है, वैसे ही शिक्षा से मनुष्य का जीवन उज्ज्वल और संस्कारित होता है। सावन महोत्सव और दीक्षारंभ का यह अद्भुत संगम विश्वविद्यालय के लिए शुभ संकेत है। प्रो. धर्माणी ने विद्यार्थियों को आह्वान करते हुए कहा कि शिक्षा केवल डिग्री अर्जन का माध्यम नहीं, अपितु एक सभ्य, शिक्षित, संस्कारित एवं सशक्त समाज के निर्माण की आधारशिला है।

भगवान शिव को सावन का अधिष्ठाता मानते हुए उन्होंने कहा कि शिव की भांति हमें भी बुराइयों का अंत कर समाज कल्याण के पथ पर अग्रसर होना चाहिए। महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे हरियाणा कला परिषद के क्षेत्रीय निदेशक एवं प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार गजेंद्र फोगाट ने अपनी लोकरंग से परिपूर्ण संगीतमय प्रस्तुतियों से उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। उनके गायन में हरियाणवी लोकगीतों की आत्मा जीवंत हो उठी। उन्होंने सावन के गीतों के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, प्रकृति प्रेम और मानवीय भावनाओं को सुरों में पिरोया।

कुलसचिव डॉ. भावना शर्मा ने अपने प्रेरक संबोधन में कहा कि सावन का यह उत्सव हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर जीने की प्रेरणा देता है। यदि हमने प्रकृति के संतुलन को नहीं समझा, तो यह असंतुलन एक दिन हमारे अस्तित्व को ही संकट में डाल देगा। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय को केवल शिक्षा का केंद्र नहीं, अपितु पर्यावरण चेतना एवं सामाजिक जिम्मेदारी के स्रोत के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

प्रदर्शनी न केवल उत्पादों का प्रदर्शन था, बल्कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की एक सशक्त झलक

इस आयोजन में श्रीमती प्रेमलता सर्राफ (विधायक घनश्याम सर्राफ की धर्मपत्नी), एडवोकेट मुकेश चौहान, डॉ. राजनरायन पंघाल, श्रीमती सीमा बंसल, पूर्व कुलसचिव डॉ. ऋतु सिंह, डॉ. कीर्ति चौहान जैसे अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे जिन्होंने सावन महोत्सव की सराहना करते हुए इसे संस्कृति और शिक्षा के समन्वय का प्रेरणादायक प्रयास बताया। महोत्सव के अवसर पर विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा हस्तनिर्मित उत्पादों की स्टालें भी लगाई गईं। इन स्टालों पर हस्तशिल्प, घरेलू उत्पाद, सजावटी वस्तुएं, जैविक सामग्री आदि ने महिलाओं की उद्यमिता और आत्मनिर्भरता का परिचय दिया। यह प्रदर्शनी न केवल उत्पादों का प्रदर्शन था, बल्कि महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की एक सशक्त झलक भी थी।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. सुरेश मलिक (डीन स्टूडेंट वेलफेयर) ने सावन महोत्सव की रूपरेखा एवं इसके आयोजन की प्रक्रिया को साझा करते हुए सभी आगंतुकों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सोनल शेखावत द्वारा किया गया, जिन्होंने आयोजन से जुड़े सभी व्यक्तियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट की।

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