
Amit Shah On Vande Mataram, (आज समाज), नई दिल्ली : संसद में वंदे मातरम् पर बहस का आज दूसरा दिन है। पहले दिन यानी सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस चर्चा की शुरुआत की थी, जिसके बाद से देश में सियासी घमासान छिड़ गया है, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी वंदे मातरम् पर अपना वक्तव्य दिया था। इसी क्रम में आज गृह मंत्री अमित शाह ने भी राज्यसभा में वंदे मातरम् को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा।
कई पीढ़ियां वंदे मातरम् के महत्व को भी समझेगी
‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर राज्यसभा में बहस के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा “वंदे मातरम् की दोनों सदनों में इस चर्चा से, वंदे मातरम् के महिमा मंडन से, वंदे मातरम् के गौरव गान से हमारे बच्चे, किशोर, युवा और आने वाली कई पीढ़ियां वंदे मातरम् के महत्व को भी समझेगी और उसको राष्ट्र के पुनर्निर्माण का एक प्रकार से आधार भी बनाएगी। अमित शाह ने कहा, “वंदे मातरम् ने एक ऐसे राष्ट्र को जागरूक किया जो अपनी दिव्य शक्ति को भुला चुका था। राष्ट्र की आत्मा को जागरूक करने का काम वंदे मातरम् ने किया इसलिए महर्षि अरविंद ने कहा वंदे मातरम् भारत के पुनर्जन्म का मंत्र है.
‘वन्दे मातरम्’ आत्मनिर्भर व विकसित भारत की प्रेरणा बन रहा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “जब अंग्रेजों ने वंदे मातरम् पर कई प्रतिबंध लगाए तब बंकिम बाबू ने एक पत्र में लिखा था कि मुझे कोई आपत्ति नहीं है मेरे सभी साहित्य को गंगा जी में बहा दिया जाए, यह मंत्र वंदे मातरम् अनंतकाल तक जीवित रहेगा, यह एक महान गान होगा और लोगों के हृदय को जीत लेगा और भारत के पुनर्निर्माण का यह मंत्र बनेगा। स्वाधीनता आन्दोलन में जन-जन का संकल्प-गान बनने वाला ‘वन्दे मातरम्’ आज राष्ट्र-रक्षा का प्रेरणा-गीत बन गया है। आजादी के आंदोलन में राष्ट्रीय एकता का स्वर बनने वाला गीत ‘वन्दे मातरम्’ आत्मनिर्भर व विकसित भारत की प्रेरणा बन रहा है।
संसद चलने दीजिए, संसद का बहिष्कार हम नहीं करते, हम कुछ नहीं छिपाते
शाह ने कहा कि कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम की चर्चा की जरूरत पर सवाल उठा रहे थे, इसको सियासी हथकंडा बता रही थीं। मुद्दों पर चर्चा करने से कोई नहीं डरता। संसद चलने दीजिए, संसद का बहिष्कार हम नहीं करते। हम कुछ नहीं छिपाते। उन्होंने कहा कि जिस वंदे मातरम की उद्घोषणा 150 साल पहले बंकिम बाबू ने की, उसका भाव पुरातन है। भगवान राम ने कहा था माता और मातृभूमि ईश्वर से भी बड़ी होती है। मातृभूमि का महिमामंडन शंकराचार्य ने किया और आचार्य चाणक्य ने भी किया।
जो वंदे मातरम बोलने वाले थे, उन्हें आपातकाल में इंदिरा जी ने बंद कर दिया
शाह ने कहा कि 1937 में जब स्वर्ण जयंती हुए तो नेहरू जी ने वंदे मातरम के टुकड़े कर दिए। 50वें पड़ाव में वंदे मातरम को तोड़ा गया। यहीं से तुष्टिकरण की शुरुआत हुई और इसी ने विभाजन के बीज बोए। टुकड़े नहीं होते तो भारत एक होता। शाह ने कहा कि वंदे मातरम 100 साल का हुआ तो सबको हुआ कि 100 साल मनाए जाएंगे। पर इसके महिमामंडन का सवाल ही नहीं था, क्योंकि जो वंदे मातरम बोलने वाले थे, उन्हें आपातकाल में इंदिरा जी ने बंद कर दिया। पूरे देश को बंदी बनाकर रख दिया गया। 150वें साल में लोकसभा में चर्चा हुई। जिस पार्टी के अधिवेशन की शुरुआत गुरुवर टैगोर वंदे मातरम गाकर कराते थे, उस पर जब लोकसभा में चर्चा हुई तो गांधी परिवार के सदस्य सदन में नहीं थे। नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस ने गान विरोध किया है।
जब हमने यह शुरू किया तब इंडिया गठबंधन के लोगों ने कहा था कि हम नहीं गाएंगे
शाह ने आगे कहा कि 1992 में लोकसभा में वंदे मातरम के गान की शुरुआत हुई। जब हमने यह शुरू किया तब इंडिया गठबंधन के लोगों ने कहा था कि हम नहीं गाएंगे। मैंने देखा है कि कई सारे सदस्य वंदे मातरम जब होता है तो वे संसद से बाहर चले जाते हैं। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान में वंदे मातरम देश को आजाद बनाने का कारण बना और अमृतकाल (आजादी के 75 से 100वें वर्ष) में देश को विकसित और महान बनाने का नारा बनेगा। शाह ने कहा “वन्दे मातरम् पर चर्चा की ज़रूरत वन्दे मातरम् जब बनी तब भी थी, आज़ादी के आंदोलन में भी थी, आज भी है और 2047 में जब महान भारत बनेगा तब भी रहेगी।”
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