भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा, चीन के प्रति अपनाया नरम रवैया

Business News (आज समाज), बिजनेस डेस्क : वर्तमान समय में आर्थिक मोर्चे पर विश्व स्तर पर कोई चर्चा है तो वह है अमेरिका द्वारा लगाई जा रहीं नई टैरिफ दरें। अमेरिका ने पिछले करीब 40 दिन के दौरान विश्व के करीब 75 देशों पर नई टैरिफ दरें लागू कर दी हैं। भारत भी उन देशों में से एक है जो अमेरिका द्वारा घोषित की गई नई और उच्च टैरिफ दरों से जूझ रहा है। आपको बता दें कि अमेरिका ने एक तरफ जहां सात अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। वहीं उसने 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ भारत पर जुर्माने के रूप में लगाया है जोकि 28 अगस्त से लागू हो जाएगा। अमेरिका ने इस अतिरिक्त टैरिफ के पीछे भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना बताया है।

भारत पर इतना जुर्माना तो चीन को राहत

रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एलान किया था । वहीं चीन को छूट दी गई है। अब अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने इसकी वजह का खुलासा किया है। मार्को रूबियो ने बताया कि चीन, रूसी तेल को रिफाइन करके उसे यूरोपीय देशों को बेच रहा है। एक इंटरव्यू के दौरान मार्को रूबियो से पूछा गया कि ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने के लिए चीन को टैरिफ से छूट क्यों दी है, जबकि भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया गया है?

ये बोले अमेरिका के विदेश मंत्री

इस पर रूबियो ने चौंकाने वाला जवाब दिया। रूबियो ने कहा कि ‘अगर आप देखें तो चीन जो कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है, वो उसे रिफाइन करके वापस यूरोपीय देशों को बेच रहा है।’ रूबियो ने कहा अगर हम चीन पर प्रतिबंध लगाते हैं तो इससे वैश्विक तेल कीमतों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और तेल की कीमतें पूरी दुनिया में बढ़ सकती हैं। रूबियो ने कहा कि चीन पर संभावित प्रतिबंध को लेकर यूरोपीय देशों ने भी निराशा जाहिर की है।

खटाई में पड़ा भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता

भारत और अमेरिका के बीच चल रहे टैरिफ गतिरोध के बीच एक बुरी खबर यह है कि भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता टल सकती है। आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन कुछ मुद्दों पर दोनों देशों के बीच अंतिम सहमति नहीं बन पाई। जिसके बाद अब यह वार्ता अनिश्चितकाल के लिए टलती दिखाई दे रही है। आपको बता दें कि फरवरी में वॉशिंगटन डीसी में मुलाकात के दौरान ट्रम्प और मोदी ने द्विपक्षीय व्यापार को 2030 तक दोगुना करने का लक्ष्य रखा था।

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