SATIRE: किसी शायर की गजल ड्रीम गर्ल, किसी झील का कमल ड्रीम गर्ल…ड्रीम गर्ल..

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किसी शायर की गजल ड्रीम गर्ल, किसी झील का कमल ड्रीम गर्ल…ड्रीम गर्ल..

क्या बात है बैताल बड़े ही रोमांटिक मूड में नजर आ रहा है।

तो तूं क्या कहना चाहता है विक्रम, बैतालों को रोमांस करने का अधिकार नहीं है।

अरे मैंने ऐसा कहां कहा, मैं तो सिर्फ यह जानना चाह रहा था कि तुम्हारे इस पेड़ के आसपास अचानक से इतनी फसल कैसे पैदा हो गई..और तूं ये ट्रैक्टर पर बैठकर इतना रोमांटिक गाना क्यों गा रहा है।

अब तुम्हें क्या बताऊं विक्रम। जब मैं जिंदा था तब ड्रीम गर्ल से मिलना मेरा ड्रीम था। अब मरने के बाद भी थोड़ी आस जगी है।

वो कैसे बैताल।

अरे ड्रीम गर्ल इन दिनों खेत खलिहानों के खूब चक्कर लगा रही है। कभी वो ट्रैक्टर चला रही है, कभी खेत में फसल काट रही है। और तो और लकड़ी बिनने वाली के साथ भी वह दिखी है।

अच्छा तो अब समझा तुम्हारे इस ट्रैक्टर और फसल का राज।

हां इस उम्मीद में बैठा हूं..कभी तो मिलेगी, कहीं तो मिलेगी..मिलेगी आज नहीं तो कल.. तूं यहां से चल। मुझे डिस्टर्ब न कर।

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