Think about the supply chain, Sir, people should not be tracked without their consent by taking advantage of fear – Rahul Gandhi: सप्लाई चेन के बारे मेंसोचे सर कार, भय का लाभ उठाकर लोगों को उनकी सहमति के बिना ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए-राहुल गांधी

0
287

नई दिल्ली। कोरोना संकट के कारण देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण चल रहा हैलेकिन अब सरकार की ओर से इसमें कई तरह की छूट भी दी गई है। देश की अर्थव्यथा को बचाने के लिए तीसरेचरण मेंकेंद्र की ओर से नई गाइडलाइंस जारी की गई है। इसमें कई तरह की रियायतें सरकार की तरफ दी गई है। सरकार अर्थव्यवस्था को बचानेके लिए आर्थिक पैकेज का एलान भी जल्द कर सकती है। देशभर में फंसे हुए मजदूरोंको अपने गृहराज्य जाने के लिए स्पेशला ट्रेनें चलाई गर्इं हैं तो वहीं दूसरी ओर सरकार सशर्त काम करने की इजाजत भी दे दी है। देश की इस विकट परिस्थतियों में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार एक्सपर्ट से चर्चा कर रहे हैं और हालात को ठीक करने के लिए लगातार अपने वि चार साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संक्रमण सेअर्थव्यवथा को बचाने के लिए जोनों के बारे में सोचें और जब अर्थव्यवस्था को दोबारा खोलने जा रहे हैं तो सप्लाई चेन के बारे में सोचें। बता दें कि राहुल गांधी ने कोरोना संकट केइस कठिन दौर से अर्थव्यवस्था को कैसे निकाला जाए संदर्भ में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बात की थी। राहुल गांधी की ओर से सरकार को कटघरे में खड़ा किया गया। राहुल गांधी ने आरोग्य सेतू पर सवाल उठाते हुए कहा कि टेक्नॉलजी हमें सुरक्षित रहने में मदद कर सकता है, लेकिन भय का लाभ उठाकर लोगों को उनकी सहमति के बिना ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए। राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘आरोग्य सेतु ऐप एक अत्याधुनिक सर्विलांस सिस्टम है, जिसे प्राइवेट आॅपरेटर को आउटसोर्स किया गया है और कोई संस्थागत निगरानी नहीं है, इससे डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी हो रही हैं। टेक्नॉलजी हमें सुरक्षित रहने में मदद कर सकती है, लेकिन भय का लाभ उठाकर लोगों को उनकी सहमति के बिना ट्रैक नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने मजदूरों से रेल किराया वसूलने को लेकर आश्चर्य जाहिर किया और कहा था कि जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री राहत कोष में कोरोना से लड़ने के लिए डेढ़ करोड़ रुपए से ज्यादा का योगदान कर सकता है तो वह मजदूरों को निशुल्क घर क्यों नहीं पहुंचा पा रहा है।

SHARE