नई दिल्ली। संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर पहले ही राजनीतिक पार्टियों में उठापटक खूब हुई है। इस अनुच्छेद को चुनौती देनेवाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जल्द इस पर सुनवाई की जाएगी। हालांकि सुनवाई कब की जाएगी इसकी कोई तारीख निर्धारित नहीं की गई। संविधान का यह अनुच्छेद जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है। अनुच्छेद 370 छब्बीस नवंबर, 1949 को अस्तित्व में आया था, जिसे संविधान सभा ने संविधान का हिस्सा बनाया था। अनुच्छेद 35 ए भी इससे जुड़ा हुआ है और यह जम्मू-कश्मीर राज्य में इसके नियत सांविधानिक रूप के तहत जनसांख्यिकी को संरक्षित करता है। 1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद छोटी-छोटी रियासतों को भारतीय संघ में शामिल किया गया। जम्मू-कश्मीर को भारत के संघ में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू करने के पहले ही पाकिस्तान समर्थित कबिलाइयों ने उस पर आक्रमण कर दिया। उस समय कश्मीर के राजा हरि सिंह थे, जिन्होंने कश्मीर के भारत में विलय का प्रस्ताव रखा। तब इतना समय नहीं था कि कश्मीर का भारत में विलय करने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी की जा सके। हालात को देखते हुए भारतीय संविधान सभा के अध्यक्ष रहे एन गोपाल स्वामी आयंगर ने संघीय संविधान सभा में 306-ए प्रस्तुत किया, जो बाद में 370 बना। इस तरह से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग अधिकार मिल गए। जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा है। भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। वित्तीय आपातकाल लगाने वाली अनुच्छेद 360 भी जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होती।भारत की संसद जम्मू-कश्मीर में रक्षा, विदेश मामले और संचार के अलावा कोई अन्य कानून नहीं बना सकती। यहां धारा 356 लागू नहीं होती, राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
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