पीएम मोदी नेमंगलवार को देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को चार महीने से ज्यादा हो चुका है। दुनिया में 42 लाख लोग इससेसंक्रमित हैं और पौने तीन लाख लोगों की मृत्यु हुई है। साथियों एक वायरस ने दुनिया को तहस नहस कर दिया है। विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां दांव पर लगी है। हमने ऐसा संकट न देखा न ही सुना है। निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए यह अकल्पनीय है। यह क्राइसिस अभुतपूर्व है। लेकिन थकना, हारना, टूटना मानव को मंजूर नहीं है। इससे बचना भी है और आगे भी बढ़ना भी है। हमें अपना संकल्प और मजबूत करना होगा। हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट हो। हम पिछली शताब्दियों से सुनते आए हैं कि 21 वीं सदी भारत की है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही है उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। जब दोनों कालखंडों को देखते हैं कि तो लगता है कि 21 वीं सदी भारत की हो यह हमारी जिम्मेदारी भी है। इसका मार्ग एक ही है आत्मनिर्भर भारत। यही रास्ता है आत्मनिर्भर भारत। साथियों एक राष्ट्र के रूप में अहम स्थान पर खड़े हैं। जब कोरोना संकट शुरू हुआ। तब एक भी पीपीई किट या एन 95 मास्क नहीं बनता था। लेकिन अब 2 लाख पीपीई औ 2 लाख एन 95 मास्क प्रतिदि बना रहे हैं। आपदा को अवसर में बदलने के लिए प्रवृति भारत में है। ग्लोबल वर्ल्ड में आत्मनिर्भरता की परिभाषा बदल रही है। विश्व के सामने भारत आशा की किरण नजर आता है। भारत की संस्कृति उस आत्मनिर्भरता की बात करते हैं जिसकी आत्मा वसुधैव कुटुबंकम है। भारत की आत्मनिर्भरता में संसार की सुख, शांति भी है। जो पृथ्वी को मां मानती हो वह संस्कृति जब आत्मनिर्भर बनती है तो उससेसुखी विश्व की प्रगति होती है। भारत के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता है। भारत के अभियानों का असर विश्व पर पड़ता ही है। इंटरनेशनल योगा दिवस की पहल मानवता के लिए उपहार है। भारत की दवाइयांएक आशा लेकर पहुंचती हैं। एक सौ तीस करोड़ देशवासियों का आत्मनिर्भर भारत। भारत जब संमृद्ध था, जब सोने की चिड़िया था तब सदा विश्व कल्याण की राह पर ही चला। अब भारत एक बार फिर विकास की ओर कदम बढ़ा रहा है। इस शताब्दि की शुरूआत के समय वाईटूके संकट के समय भारत ने दुनिया को उस संकट से निकाला था। हमारे पास दुनिया के सबसे बेहतरीन टैलेंट हैं। अपनी क्वालिटी बेहतर करेंगे। सप्लाई चेन को और मजबूत बनाएंगे। साथियों मैंने कच्छ भूकंप का वा ेसमय देखा है कि सबकुछ खत्म हो गया। ऐसा लगता था कि कच्छ मौत की चादर ओढ़कर सो गया। देखते ही देखते कच्छ उठ खड़ा हुआ, चल पड़ा। अगर भारतवासी ठान लें तो कुछ भी असंभ व नहीं। भारत की संकल्प शक्ति ऐसी है कि भारत आत्म निर्भर बन सकता है। पांच पिलर पर भारत खड़ा है। पहली इकोनामी, दूसरा पिलर इंफ्रास्ट्रश्क्चर, तीसरा हमारा सिस्टम, चौथा पिलर हमारी डैमोग्राफी, पांचवा पिलर डिमांड। कोरोन संकट के समय मैं एक विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा कर रहा हूं। यह आत्मनिर्भर भारत के लिए अहम योगदान देगा। बीस लाख करोड़ रुपए का है। यह पैकेज भारत की जीडीपी का करीब दस प्रतिशत है। बीस लाख करोड़2020 में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगा। यह आर्थिक पैके गृह उद्योग , कुटीर अद्योगा आदि को मदद करेगा। यह आर्थिक पैकेज उस किसान के लिए, मध्यम वर्ग के लिए है। कल से वित्तमंत्री द्वारा इसकी पूरी जानकारी दी जाएगी। कौन सोच सकता था कि भारत सरकार द्वार दिए गए पैसे सीधे गरीब की जेब में गए। अब रिफार्म के दायरे को और बढ़ाना है। यह रिफार्म किसानों क ेलिए होगा ताकि आगे कोरोना जैसे खतरोंका असर किसानों पर कम से कम हो। आत्मनिर्भरता और आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आज समय की मांग है कि भारत हर स्पर्धा में जीते। ग्लोबल स्पलाईचेन में अहम भूमिका निभाए। साथियों ये संकट इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी व्यवस्थाएं हिल गर्इं। हमारे रेड़ी वाले और ठेला लगाने वाले पटरी पर सामान बेचने वाले भाई बहन है उन्होंने इस दौरान बहुत त्याग किया है और तपस्या की है। अब हमारा कर्तव्य है उन्हें ताकतवर बनाने का। इसे ध्यान में रखते हुए गरीब हो , प्रवासी श्रमिकों, मत्सय पालक हो सबके लिए आर्थिक पैकेज में व्यवस्था की गई है। संकट के समय में लोकल ने ही हमारी डिमांड पूरी की है। हमें इस लोकल ने ही बचाया है। यह केवल जरूरत नहंी हमारी जिम्मेदारी है। लोकल को हमें अपना जीवन मंत्र बनाना ही होगा। आज आपको जो ग्लोबल बैंड लगते हैं वह पहले लोकल ही थे। आज से हर भारत वासी अपने लोकल के लिए वोकल बनना है। न सिर्फ लोकर प्रोटक्ट खरीदने हैंबल्कि गर्व से प्रचार भी करना है। आपके प्रयास ने मेरी श्रद्धा को आपके प्रति और बढ़ाया है। सभी साइंटिस बताते हैं कि लंबे समय तक कोरोना हमारे जीवन का हिस्सा बना रहेगा। हम मास्क पहनेंगे दो गज दूरी का पालन करेंगे। लेकिन अपने लक्ष्यों को दूर नहीं होने देंगे। लॉकडाउन 4 पूरी तरह नए रूप में होगा। राज्यों से जो हमें सुझाव मिल रहे हैं उसके हिसाब से 18 मई से पहले ही आपको इसकी जानकारी दी जाएगी। कोरोना से हम लड़ेंगे भी और जीतेंगे भी। आत्मनिर्भर ता हमें सुख और संतोष देने के साथ हमें सशक्त भी करती है। 21वींसदी भारत की सदी बनाने के लिए आत्मनिभर्ता से ही बनेगी। अब नई संकल्प शक्ति उसे लेकर हमें आगे बढ़ना है। जब आचार विचार कत्वर्य भाव से परिपूर्ण हो। कौशल्य की पूंजी हो तो आत्मनिर्भर बनने से कौन रोक सकता है। हम भारत को आत्मनिर्भर बना कर रहेंगे। आप अपनेपरिवार का अपना ख्याल रखें।
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