‘To accept arbitration is not rationale’- Rajnath: मध्यस्थता स्वीकार करने का औचित्य ही नहीं-राजनाथ सिंह

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नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर बयान दिया था कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर मध्यस्थता की बात की। जिसको लेकर भारत में सरगर्मी तेज हो गई और लगातार इसका विरोध होता रहा। सभी राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिए गए बयान पर सफाई मांग रहे थे। विपक्ष का हंगामा बुधवार को भी संसद में जारी है। विपक्ष ने लोकसभा में हंगामा करते हुए प्रधानमंत्री मोदी से इस मुद्दे पर जवाब की मांग की है। वहीं, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘देशभर में आदिवासियों की हत्या’ को लेकर सदन में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गोपाल नारायण सिंह ने राज्यसभा में ‘दक्षिण बिहार में गंभीर सूखे और उत्तर बिहार में भारी बाढ़’ को लेकर शून्यकाल का नोटिस दिया। संसद में आज कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया है जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के बयान पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
मंगलवार और बुधवार को लगातार विपक्ष का हंगामा इस मुद्दे पर जारी रहा। लोकसभा में राजनाथ सिंह ने इस हंगामे का जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बातचीत जरूर हुई लेकिन इन दोनों के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई और मध्यस्थत का तो कोई औचित्य ही नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सच है की बात हुई थी लेकिन हमारे विदेश मंत्री जयशंकर ने बयान में पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच में कश्मीर मुद्दे पर कोई बातचीत नहीं हुई थी। राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर पर किसी की मध्यस्थता को स्वीकार करने का औचित्य ही नहीं है।

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