The tradition of the 170 year old Rath Yatra did not break: नही टूटी 170 वर्ष पूरानी रथयात्रा की परम्परा

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पन्ना मे श्री जगन्नाथ स्वामी जी के मंदिर मे विशेष रथ यात्रा महोत्सव का प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता है पन्ना जिले मे इस महोत्सव का एक अलग ही महत्व रहता है… यह महोत्सव जेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा से प्रराम्भ हो कर लगातार 25 दिनो तक चलता है जिसमे बुन्देलखण्ड क्षेत्र एंव भारत के अन्य राज्योे के हजारो श्रद्वालु धर्मिक भावना से ओत-प्रोत हो सम्मिलित होते रहे है…लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते भगवान की रथयात्रा निकलने के लिये प्रशासन के द्वारा अचानक परमिशन मिली और कुछ ही लोगो की उपस्थिति में रथायात्रा महोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ और श्रद्वालुओं ने अपने-अपने घरो की छतो से भगवान के दर्शन किये इस दौरान पुलिस प्रशासन मुस्तैद दिखाई दिया और कोरोना वायरस के चलते सावाधानियां बरती गई तब जा कर भगवान की रथयात्रा निकल पाई।

 आपको बता दें कि भगवान जगन्नाथ स्वामी जी के मंदिरो मे जो 3 प्रमिताये प्रतिलक्षित होती है उनमे प्रथम धवल स्वरूप मे श्री बलभद्र जी (भगवान श्रीकृष्ण के बडे भाई), द्विताय विग्रह पीतवर्णा देवी सुभद्र जी ( भगवान श्रीकृष्ण जी की बहिन) एंव तृतीय विग्रह स्वयं श्रीकृष्ण जो जगन्नाथ जी के रूप मे श्यामवर्ण मे विराजमान है इनके साथ भगवान का सुदर्शन चक्र भी विराजमान है 17 वीं शताब्दी मे पन्ना के तत्कालीन महेन्द्र महाराजाधिराज श्री किशोर सिंह जू देव जी जो भगवान् जगन्नाथ स्वामी जी के अनन्य भक्त थे जो उडीसा जगन्नाथ पुरी से 4 माह यात्रा कर श्री जगन्नाथ स्वामी जी के विग्रहो को साथ लाये थे एंव भव्य मंदिर का निर्माण करा कर बडी धूम-धाम एंव शस्त्रोक्त विधि विधान से स्थापना कराई थी… इसके पश्चात 18 वीं सदी के प्राराम्भ मे महाराजा किशोर सिंह जी के ज्येष्ठ पुत्र महाराजा हरवंश राय जू देव के द्वारा पन्ना मे उडीसा मे विराजमान भगवान जगन्नाथ स्वामी जी की प्रेरणा से पन्ना मे महाराज हरवंश राय जी के पिता श्री के द्वारा स्थापित विग्रहो को जो पन्ना से 4 किलोमीटर दूर जनकपुर मे मंदिर बना कर स्थापित करवाने के साथ-साथ पन्ना के पूर्व मंदिर मे नवीन विग्रहो की आषाढ मास मे स्थापना करवाई और भव्य रथ बनवाये गये जिसमे भिन्न-भिन्न विग्रह स्वारूपो को विराजमान करवा कर रथ यात्रा प्रराम्भ कराई गई जिसकी अगुवाई रियासत काल से परम्परा स्वारूप राज परिवार के सदस्य करते चले आ रहे है। मान्यतानुसार भगवान रथ यात्रा के बहाने अपने भक्तो से मिलने और उन्हे दर्शन देने स्वयं बाहर निकलते है।

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