Corona’s magician model of Rajasthan: कोरोना का राजस्थान का जादूगर मॉडल

0
275
मार्च का महिना था और राजस्थान में विधानसभा का बजट सत्र अंतिम पड़ाव पर था इसी दौरान तीन मार्च को राजस्थान में पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने की सूचना आई..हालांकि पहला केस इटली का एक पर्यटक पाया गया….उसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने बीमारी की गंभीरता को समझते हुए सारी कमान अपने हाथ में ले ली औऱ ताबड़तोड़ एक के बाद एक फैसले लेने लग गए….इटालियन ट्यूरिस्ट के संपर्क में आए गए लोगों की हिस्ट्री खंगाली गई औऱ जहां जहां वह रुका था उन होटलों को सील करने के आदेश जारी कर दिए….इस दौरान मध्यप्रदेश के सियासी ड्रामे के चलते कांग्रेस विधायक भी जयपुर आ गए थे लेकिन मैनेजमेंट के माहिर और सियासत के जादूगर अशोक गहलोत ने दोनों मसलों को बेहतर मैनेज किया….गहलोत ने विधायकों की आवभगत के लिए अपने वफादारों की ड्यूटी लगा दी औऱ खुद कोरोना को कंट्रोल करने में जुट गए…..पहले केस रिपोर्ट होने के बाद इक्का दुक्का केस ही राजस्थान में आते रहे लेकिन गहलोत सरकार ने एयरपोर्ट पर बिना स्क्रीनिंग के शहर में एंट्री नहीं करने के कड़े आदेश जारी कर दिए…..इसी बीच भीलवाड़ा में कोरोना का जबरदस्त विस्फोट हुआ और एक निजी अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही से दो दर्जन मरीज एक साथ कोरोना से संक्रमित हो गए….धीरे धीरे कोरोना की चेन वहां लंबी हो गई…..अफसर भी टेंशन में आ गए किसी के समझ में नहीं आ रहा था अब क्या करें…..लेकिन सीएम ने अपने अनुभव से वहां महाकर्फ्यू का ऐलान कर दिया….जिसके तहत किसी को भी घर से निकलने की इजाजत नहीं दी गई…..अस्पताल में चैकअप के लिए आए हजारों लोगों की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री निकाली गई…..अग्रेसिव सैपलिंग शुरु की गई और लोगों को डोर टू डोर राशन पहुंचाया गया….नतीजा यह निकला की भीलवाड़ा में बनी खतरनाक चेन को क्रेक कर दिया गया….जिसको बाद में कईं राज्यों ने अपनाया….यहां तक की कनाडा ने भी इस मॉडल को अपने देश में लागू किया…..भीलवाड़ा मॉडल इसलिए सुर्खियों में आया कि इस महामारी के आगे दुनिया के सारे देश बेहाल थे…..किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि लंबी चेन बन जाए तो उसे कैसे तोड़ा जाए लेकिन इस मॉडल ने उनके सामने एक समाधान पेश किया था……भीलवाड़ा मॉडल ने कोरोना संकट में गहलोत को देशभर में एक नए राजनेता के तौर पर स्थापित किया…
कोरोना से लड़ाई में क्यों है गहलोत सेनापति
कोरोना से लड़ाई लड़ने में केरल,उड़ीसा,राजस्थान औऱ उत्तरप्रदेश की सरकारों ने बेहतर काम किया….दिल्ली के लुटियंस जोन में जानकारों ने यह विश्लेषण किया है….लेकिन गहलोत ने क्या किया यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग में खुलकर उनकी की गई तारीफ से साफ हो गया…..इतना ही नहीं पीएम ने अन्य राज्यों को राजस्थान का अनुसरण कहने की बात कह डाली थी….भीलवाड़ा मॉडल के अलावा कईं कदम  गहलोत ने सबसे पहले देश में उठाए….मसलन जब जनता कर्फ्यू लगा उस दिन 22 मार्च को ही गहलोत ने राजस्थान में कंप्लीट लॉक डाउन कर दिया….जबकी प्रधानमंत्री ने 3 दिन बाद 25 मार्च को देश में इसे लागू किया….सबसे पहले रेपिड टेस्ट किट से जांच शुरु करने वाला राजस्थान ही था….बाद में चायना से आई इन किट की जांचों पर सवाला उठाने वाले ही अशोक गहलोत थे….गहलोत की आपत्ति के बाद केन्द्र ने देशभर में चायना किट से जांचें करना बंद किया था…..उसके बाद लॉक डाउन में अचानक सड़कों पर निकले मजदूरों के रैलों ने केन्द्र की टेंशन बढा दी थी…..मजदूरों को घर कैसे पहुंचाया जाया किसी के पास जवाब नहीं था….लेकिन जादूगर ने ट्रेनों का संचालन करते हुए मजूदरों को मंजिल तक पहुंचाने का आईडिया वीसी के दौरान सीएम को दिया….उसके एक हफ्ते बाद ही केन्द्र ने स्पेशल श्रमिक ट्रेन चलाने की घोषणा कर दी…..इतना ही नहीं ट्रेनों में मजदूरों का किराया देने की घोषणा करने वाला भी पहला राज्य राजस्थान था….ऐसे कई फैसले अशोक गहलोत ने लिए जो इस महामारी को मात देने में कारगर साबित हुए….यानि जो फैसले केन्द्र को लेने थे वो पहले एक राज्य सरकार ने कर दिखाए….
78 दिन में 160 से ज्यादा बैठके ली
पिछले ढाई माह से अशोक गहलोत कोरोना की मॉनिटरिंग खुद कर रहे है……3 मार्च से लेकर लगातार मैराथन बैठके ले रहे हैं…..गहलोत अफसरों के भरोसे कोई रिस्क नहीं लेना चाहते…..इसलिए खुद ही नजर बनाए हुए हैं…….आज तक उन्होंने कोरोना को लेकर औसतन हर दिन दो बैठके ली है….शुरुआत में मार्च को छोड़ दिया जाए तो शेष बैठके उन्होंने वीसी के जरिए ली……कलेक्टर औऱ एसपी से हर दिन जिले का फीडबैक खुद लिया…..पक्ष हो या विपक्ष गहलोत ने सबसे सुझाव लिए……भाजपा नेताओं के साथ भी बैठक की…..कोरोना को लेकर ऑनलाइन विधानसभा तक चला दी….गहलोत ने 20 घंटे में दो दिन में 200 में 195 विधायकों,25 में से 20 सांसदों के साथ चर्चा की……जिसमें स्पीकर सीपी जोशी,डिप्टी सीएम सचिन पायलट औऱ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने भी हिस्सा लिया…..यहां तक की मीडिया को भी वीसी के जरिए जानकारियां देते रहे……रात को एक एक बजे भी गहलोत बैठक लेने से नहीं चूके…..अफसर थक जाते लेकिन जादूगर नहीं रुका…..
अग्रेसिव कोरोना सैंपलिंग
कोरोना से लड़ने के लिए गहलोत ने अग्रेसिव सैंपलिंग का रास्ता अपनाया…..आज राजस्थान सैंपल लेने के मामले में देश में तीसरे पायदान पर है…..महाराष्ट्र और तमिलनाडु के राजस्थान में सैंपल लिए है जो कि आबादी के हिसाब से गणना करें राज्यों की तो पहला पायदान होता है…..आज राजस्थान में प्रतिदिन 15 हजार जांचें हो रही है औऱ जो मई के आखिर में 25 हजार पर डे हो जाएगी……जयपुर के बाद कईं जिलों में कोरोना की जांच होने लगी है……जल्दी जांचें होने से फायदा यह मिला कि तुरंत रिपोर्ट आने से संक्रमण फैलने पर ब्रेक लगे…..साथ ही जांचें नहीं करने के विपक्ष के आरोपो को स्वत इससे जवाब मिल गया….
प्रवासी मजदूरों के लगाया मरहम
अगर किसी मजदूर के लिए ट्रेन शुरु करवाना हो….उसका किराया माफ करवाना हो या फिर उसकी आर्थिक मदद करनी हो तो गहलोत ने हर वो कदम उठाया….राजस्थान में श्रमिकों के खाते में ढाई-ढाई हजार रुपए नगदी डलवाई……ट्रेनों औऱ बसों का फ्री संचालन किया……सड़क पर पैदल चल रहे मजदूर के लिए एसडीएम को पाबंद किया…..अब उनके लिए विशेष राहत कैंप खुल दिए हैं…..साथ ही जो मजूदर बेरोजगार होकर दूसरे राज्यों से आए हैं उनको उनकी दक्षता के लिए राजस्थान में ही रोजगार देने का मास्टरप्लान तैयार किया है…..गहलोत का कहना है कि मजदूर में डर बैठ गया है और उसने यह तय कर लिया है कि मुझे मरना ही है त घर जाकर ही मरुूंगा…गहलोत ने कहा कि मेरी जिंदगी में मैंने ऐेसे पलायन करते हुए दुख का मंजर कभी नहीं देखा…..कह सकते है कि मजदूरों के लिए गहलोत ने अपनी हैसियत के तहत बहुत कुछ करने की कोशिशे की…
अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित
अब गहलोत का सारा फोकस राजस्थान की आर्थिक स्थिती को पटरी पर लाना है इसके लिए अरविंद मायाराम की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन कर रखा है…..जिंदगी बचाने और राजस्व जुटाने के बीच संतुलन बनाते हुए कदम उठाए जा रहे हैं….हालांकि केन्द्र से अलग से राज्यों को आर्थिक मदद नहीं मिलने का गहलोत को मलाल है…..लिहाजा अर्थव्यवस्था को लेकर जरुर अभी तक उन्होंने कोई कदम नहीं उठाए हैं…..लेकिन जानकारों से सुझाव मिलने के बाद अगले ठोस कदम इसी सेक्टर से जुड़े होंगे…..गहलोत इसके लिए तमाम कारोबारियों से सुझाव ले चुके हैं……टास्क फोर्स की रिपोर्ट के आधार पर राज्य के उद्योग धंधों को संजीवनी देने का काम होगा..
लेकिन कोरोना ने गहलोत की यकीनन एक नई तस्वीर पेश की है जो यह साबित करती है कि वाकई में अनुभव बोलता है…..केन्द्र की राजनीति में गहलोत एक नए रोल में दिख सकते हैं और यह पिछले ढाई माह के उनके बोल्ड स्टेप्स से साबित हुआ है….
SHARE