SATIRE: गाल पर हाथ रखकर क्या सोच रहा है बैताल?

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गाल पर हाथ रखकर क्या सोच रहा है बैताल?
अब क्या बताऊं विक्रम, बड़ा कंफ्यूज हूं।
क्यों क्या हो गया, चुनाव का मौसम है तो कंफ्यूजन तो नेताओं में होनी चाहिए। तूं क्यों कंफ्यूज है।
तो क्या हम बैतालों को कंफ्यूज होने का अधिकार नहीं है।
नहीं ऐसी बात नहीं है। अच्छा चल बता कि तूं क्यों कंफ्यूजन में है?
विक्रम तुमने सपना चौधरी के बारे में सुना है।
हां, मैं उसे जानता हूं।
अच्छा विक्रम ! बेटा, तो तूं भी छिप छिपकर यू-ट्यूब पर मेरी तरह सपना चौधरी का बवाली डांस देखता रहता है।
मैं ही क्यों पूरी दुनिया देखती है।
हां वो तो है विक्रम। इसी छुपम छुपाई का नतीजा है कि सपना भी छुपी रुस्तम निकल गई है। पहले कांग्रेस के नेताओं के साथ छुप कर किसी फॉर्म पर हस्ताक्षर कर दिया। फिर उसी गुलाबी सूट में मनोज तिवारी के साथ चाय पर चर्चा करने गुपचुप तरीके से पहुंच गई।
अच्छा अब मैं समझ गया बैताल कि तूं क्यों कंफ्यूज है।
अब समझ ही गया है तो तूं ही बता दे कि सपना किसी पार्टी की हकीकत बनेगी?
चुप क्यों हो गया विक्रम। नहीं है न जवाब तेरे पास। चल हट जा पाछे ताऊ रे… मैं चला डाल पर बैठकर यू-ट्यूब पर सपना का डांस देखने।

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