मोबाईल टॉवरों की बढ़ती संख्या और मानव स्वास्थ्य पर खतरा

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पिछले करीब डेढ़ दशक से संचार क्रांति के दौर ने भले ही प्रत्येक व्यक्ति को मोबाईल सुविधा सम्पन्न बना दिया हो और चाहे संचार प्रणाली की इस सुविधाजनक तकनीक को शहरवासी भी बहुतायत मात्रा में अपना चुके हों, परन्तु हकीकत में आमइंसान को मोबाईल के माध्यम से विकास की सौगात देने वाली इस आधुनिक संचार तकनीक को सक्रीयता प्रदान करने वाले दर्जनों मोबाईल टॉवरों की घातक चुंबकीय तरंगे अब इंसानी जान की दुश्मन बनकर मानव शरीर को गंभीर बिमारियों की चपेट में लेने के लिए दुषित वातावरण निर्मित करने लगी हैं।

आज की ताजा स्थिति में शहर में करीब 8 से 10 मोबाईल कम्पनियां संचालित हैं, जिनके माध्यम से शहर की लगभग 80 से 90 फीसदी आबादी अपने दुरभाष उपयोगी कार्य संचालित करती है। आज के दौर में प्रत्येक व्यक्ति की नियमित दिनचर्या का अभिन्न अंग बन चुके मोबाईल फोन जहां हर एक शहरवासी की जरूरत और मजबूरी दोनों बनकर दिन-रात उनका साथ निभाते नजर आते हैं वहीं इन मोबाईल टॉवरों से निकलने वाली चुंबकीय विद्युत तरंगे मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है।

अधिकांशतौर पर शहर के मध्य लगे इन मोबाईल टॉवरों के शिकंजे में जकड़ाने से शहर का वातावरण भी घातक बनता जा रहा है। देखने में आता है कि इन दिनों नगर के समस्त प्रमुख रहवासी इलाके नईसडक़, आजाद चौक, धोबी चौराहा, टंकी चौराहा, एबी रोड़, ज्योतिनगर, विजय नगर, काशी नगर, आदर्श कॉलोनी, बसस्टैण्ड एवं दायरा सहित अन्य मुख्य क्षैत्रों में 2 अथवा 2 से अधिक खड़े टॉवरों से निकलने वाली घातक चुंबकीय तरंगे तकरीबन ५०० मीटर के वृत्तीय क्षैत्रफल को अत्याधिक प्रभावित करती नजर आ रही है। यदि इसी बात पर गौर करते हुए चिकित्सकों की माने तो उनके अनुसार मोबाईल टॉवरों से निकलने वाली तरंगों से टॉवर के 500 से 1000 मीटर के दायरे में एक मैग्नैटिक फिल्ड तैयार हो जाता है, जो सीधेतौर पर मानव शरीर के दिल और दिमाग पर विपरित असर डालता है।

मोबाईल टॉवरों से निकलने वाली यही इलेक्ट्रोमैग्नैटिक वेव व्यक्ति की कार्यक्षमता को भी प्रभावित करती है। जिस क्षैत्र में दो अथवा दो से अधिक संख्या में टॉवर होते हैं वहां इन तरंगों के प्रभाव में सामान्य की अपेक्षा दो से तीन गुना बढ़ोतरी हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप उक्त क्षैत्र में एक न्यूसेंस पैदा होता है जो मानव शरीर के स्वास्थ्य के लिए प्रतिकुल होता है। पूर्व में शहर के कुछ जागरूक रहवासियों द्वारा उनके क्षैत्रों में लग रहे नए टॉवरों का विरोध करके निर्माण कार्य रूकवा भी दिए गए थे परन्तु फिर भी रहवासी इलाकों में लगातार बढ़ती जा रही मोबाईल टॉवरों की संख्या मानव जीवन के लिए हानिकारक बनती जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश भी हो गए हवा
देश के उच्चतम न्यायालय एवं तत्कालिन केन्द्र सरकार द्वारा मोबाईल टॉवरों को रहवासी इलाकों, स्कूल, कॉलेज एवं अस्पताल आदि क्षेत्रों में निर्माण नहीं किए जाने के संबंध में स्पष्टतौर पर दिए जा चुके निर्देशों का प्रारंभ से ही किसी भी मोबाईल कंपनी द्वारा पालन नहीं किया गया है। बल्कि इसके विपरित शहर के विभिन्न प्रमुख स्थानों पर टॉवरों को खड़ा करके मानव जीवन से खिलवाड़ के साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी खुलेआम धज्जियां उड़ाई जाती रही है।

बीमारियों को खुला आमंत्रण
मोबाईल टॉवरों से निरन्तर प्रवाहित होने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों ने मानव शरीर के लिए अनेक गंभीर बिमारियों का खतरा उत्पन्न किया हुआ है। टॉवरों से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नैटिक वेव के सम्पर्क में आने वाले व्यक्ति में हार्ट-अटेक, डिप्रेशन, अनिन्द्रा एवं हाई-बल्ड प्रेशर सहित विभिन्न प्रकार की घातक बिमारियां होने की आशंका सामान्य स्तर से कई गुना अधिक बढ़ जाती है।

सख्त व सतत् अभियान चलाने की जरूरत
मानव स्वास्थ्य को खतरे में डालने वाली इन अत्याधुनिक संचार तकनीकों से मिलने वाली सुविधाओं के बदले अधिक उत्पन्न होने वाली समस्याओं की रोकथाम के लिए अब शहरवासियों को स्वयं जागरूक होकर अभियान प्रारंभ करना होगा साथ ही प्रशासन को भी इस संबंध में सचेत होकर आवश्यक कदम उठाना होंगे। अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब स्वार्थ में अंधे हो चुके धनलोभियों की करनी आमशहरवासियों एवं निर्धन वर्ग के लोगों को अपने शरीर की क्षति एवं गंभीर बिमारियों से रोगग्रस्त होकर भुगतनी पड़ेगी।

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