Supreme Court seeks response from the government on a petition challenging the triple talaq law: सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सरकार से मांगा जवाब

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एजेंसी,नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तीन तलाक पर बिल पास किया और इसे निष्प्रभावी बना दिया इसे दंडनीय अपराध बना दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने तलाक…तलाक…तलाक कहकर पत्नी के साथ रिश्ता खत्म करने वाली प्रक्रिया को दंडनीय अपराध बनाने के कानून की वैधानिकता पर चुनौती दी गई। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की याचिका पर केंद्र से बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा। बता दें कि एआईएमपीएलबी और कमाल फारुकी की याचिका में कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। शीर्ष अदालत ने अगस्त 2017 में ‘तलाक, तलाक, तलाक कह कर संबंध विच्छेद करने की परंपरा को खत्म कर दिया था।

इससे संबंधित कानून संसद ने 30 जुलाई को पारित किया था। जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने नोटिस जारी करते हुए मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की याचिका मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दी। यह अधिनियम तलाक ए बिद्दत और मुस्लिम पति द्वारा दिए गए किसी भी फौरी तलाक को अमान्य करार देता है और इसे और गैर कानूनी बनाता है। पीठ ने सीरथ उन नबी अकादमी की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर नाराजगी जताई कि विभिन्न लोगों और संगठनों ने बड़ी संख्या में रिट याचिकाएं दायर कर रखी हैं। इसी मामले में बीस याचिकाएं दायर की गई है। जिसकी वजह से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की। पीठ ने अकादमी के वकील से जानना चाहा कि एक ही मामले में कितनी याचिकाएं एक ही मसले पर दायर की जाएंगी? क्या सौ याचिकाओं को एक ही मामले में सुनेंगे? सौ मामले में सौ साल तक हम इसी मसले पर सुनवाई करते रहेंगे? इस समय तीन तलाक के मसले पर 20 से अधिक याचिकायें लंबित हैं।

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