Jaishankar Prasad Three Day Visit to China: मतभेदों के चलते हमें संबंध नहीं बिगाड़ना चाहिए-एस. जयशंकर प्रसाद

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सुतीर्थो पत्रानोबिस,बीजिंग। भारत ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा देने वाले आर्टिक 370 को हटा दिया और उसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया है। इसके बाद पाकिस्तान बौखला गया था। पहले पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अमेरिका की यात्रा की और बाद में चीन की। अब भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर अपनी तीन दिवसीय चीन यात्रा पर हैं। भारत और चीन के बीच सोमवार से बीजिंग में दिनभर की लंबी बातचीत चल रही है। बीजिंग ने साफ किया है कि वह क्षेत्र में तनाव और इसकी जटिलताओं पर करीबी नजर रख रहा है। जबकि, भारत की ओर से स्पष्ट कर दिया गया है कि हमारी आपसी सहमति है कि द्विपक्षीय मतभेद को विवाद नहीं बनने दिया जाएगा। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के अपने समकक्षीय वांग यी से कहा कि वैश्विक राजनीति में चीन-भारत का संबंध काफी महत्वपूर्ण रहा है। दो साल पहले पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उन वास्तविकताओं को माना और अस्थाना में यह सहमति बनी कि वैश्विक अनिश्चितताओं के दौर में भारत-चीन संबंध स्थिर रहे। और यह सुनिश्चित किया गया कि अगर हमारे बीच कोई मतभेद है तो उसे विवाद नहीं बनने देना चाहिए। पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने साल 2017 में अस्थाना के कजाखिस्तान शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन के इतर मुलाकात की थी। जयशंकर बोले-दुनिया में अस्थिरता के समय भारत, चीन के संबंध स्थिरता के परिचायक होने चाहिए। रविवार को यहां पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्विशान से झोंग्ननहाई से उनके आवासीय परिसर में मुलाकात की। बाद में उन्होंने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा ”मैं, उस वुहान शिखर सम्मेलन के बाद यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और व्यापक हुई थी। जयशंकर ने कहा, ”चीन में पुन: आना बहुत खुशी की बात है और मैं अपने पिछले वर्षों को बड़े उत्साह के साथ याद करता हूं। मैं बहुत खुश हूं कि मेरे कार्यकाल की शुरूआत में ही मुझे यहां आने और हमारे दो नेताओं के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की तैयारी करने का अवसर मिला, जिसे हम शीघ्र ही देखने की उम्मीद करते हैं। जयशंकर का स्वागत करते हुए, उपराष्ट्रपति वांग ने कहा, ”मुझे यह भी पता है कि आप चीन में सबसे लंबे समय तक रहने वाले भारतीय राजदूत हैं और आपने हमारे दोनों देशों के संबंधों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह यात्रा द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाएगी। बाद में, जयशंकर और विदेश मंत्री वांग यी ने सांस्कृतिक और दोनों देशों के लोगों के आपसी संपर्क पर उच्च-स्तरीय तंत्र की दूसरी बैठक की सह-अध्यक्षता की। पहली बैठक पिछले साल नयी दिल्ली में हुई थी। समझा जाता है कि जयशंकर की यात्रा के दौरान चार सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

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