हरियाणा व महाराष्ट्र का चुनावी संग्राम इस समय पूरे उभार पर है। सेनाएं मैदान में उतर चुकी हैं और हर कोई जीत के दावों के साथ सकारात्मक परिणामों की उम्मीद लगाए बैठा है। भारतीय जनता पार्टी शासित इन दोनों राज्यों में प्रदेश सरकार के पांच साल के कामकाज का आंकलन तो हो ही रहा है, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के ढाई साल भी बीच-बीच में दस्तक दे रहे हैं। इन राज्यों में भाजपा के प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ की सभाएं चाहते हैं और वे हर रोज औसतन चार सभाओं को संबोधित भी कर रहे हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव की शुरुआत से ही वहां योगी आदित्यनाथ की मांग होने लगी थी। मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर जब करनाल विधानसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल करने पहुंचे तो योगी आदित्यनाथ उनके साथ थे। योगी आदित्यनाथ की भाजपा के राष्ट्रीय क्षितिज पर सक्रियता का मसला बीच-बीच में उठता ही रहता है और देश भर के चुनाव अभियान में वे भाजपा के स्टार प्रचारक भी रहते हैं किंतु हरियाणा के साथ नाथ संप्रदाय का विशिष्ट रिश्ता उन्हें वहां से विशेष रूप से जोड़ता है।
हरियाणा के हिसार में स्थित नाथ संप्रदाय की श्री सिद्धपीठ होने के कारण उनका वहां से जुड़ाव तो है ही, लोग भी उनसे सीधे जुड़ते हैं। यही कारण है कि मनोहर लाल खट्टर के नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन यानी 19 अक्टूबर तक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हरियाणा के लोगों से नियमित संवाद करना पड़ रहा है। इस चुनाव में खट्टर के कार्यकाल की तो चर्चा होती ही है, योगी आदित्यनाथ के ढाई साल के मुख्यमंत्रित्वकाल में उत्तर प्रदेश में हुए बदलाव भी चर्चा का केंद्र बनते हैं। हर प्रत्याशी योगी आदित्यनाथ की सभाएं कराना चाहता है और भाजपा को भी बमुश्किल संयोजन करना पड़ रहा है। इसके अलावा गुड़गांव सहित हरियाणा के विभिन्न हिस्सों में उत्तर प्रदेश के मूल निवासियों की ठीक-ठाक आबादी है, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रभाव उनकी मांग और बढ़ा रहा है। जनसभाओं के दौरान वे हरियाणा के साथ अपने रिश्तों की बात भी कर रहे हैं।
हरियाणा के अलावा महाराष्ट्र में भी नई विधानसभा के गठन के लिए 21 अक्टूबर को मतदान होना है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियों के साथ भाजपा हिन्दुत्व के एंबेसडर के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रस्तुत कर रही है। मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों की प्रचुर आबादी होने के कारण वहां भी योगी आदित्यनाथ की सभाओं की मांग भाजपा प्रत्याशी लगातार कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ महाराष्ट्र में हिन्दुत्व के साथ विकास के एजेंडे पर भी चर्चा कर रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र में योगी की हर सभा देवेंद्र फड़नवीस के पांच साल के शासन के साथ उत्तर प्रदेश के ढाई साल के योगी शासन की गवाह भी बनती है। उत्तर प्रदेश में हुए बदलाव वहां रहने वाले उत्तर भारतीयों को प्रेरित कर रहे हैं और मुख्यमंत्री योगी सहित भाजपा के नेता उत्तर भारतीयों के बीच जाकर चर्चा भी इसी विषय के इर्दगिर्द कर रहे हैं। दरअसल महाराष्ट्र में समग्र रूप से उत्तर भारतीयों की संख्या तो पर्याप्त है ही, उनमें भी पूर्वी उत्तर प्रदेश व उससे जुड़े बिहार के लोग सर्वाधिक रहते हैं। इन लोगों के बीच योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता जबर्दस्त है। साथ ही ये लोग पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़े होने के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सीधा जुड़ाव महसूस करते हैं और योगी सरकार के पिछले ढाई साल के कार्यकाल से भी जुड़ते हैं।
हरियाणा व महाराष्ट्र के साथ उत्तर प्रदेश की 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव भी 21 अक्टूबर को ही प्रस्तावित है। उत्तर प्रदेश का उपचुनाव भी भाजपा के लिए चुनौती भरा है। हाल ही में हमीरपुर सदर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में जीत हासिल कर भाजपा के हौसले बुलंद हैं। ऐसे में भाजपा सभी सीटें जीतने की रणनीति बनाकर मैदान में है। यहां भी सभी सीटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मांग भाजपा के प्रत्याशी कर रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश के साथ हरियाणा व महाराष्ट्र में योगी आदित्यनाथ का प्रवास चुनौती भरा तो है किंतु इसे अमल में लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन राज्यों में 10 अक्टूबर से 19 अक्टूबर तक रोज औसतन चार जनसभाएं नियोजित की गयी हैं। इनका प्रभाव तो चुनाव परिणामों के बाद सामने आएगा, किंतु इतना तय है कि उत्तर प्रदेश सरकार के बीते ढाई साल निश्चित रूप से हरियाणा व महाराष्ट्र सरकारों के पांच साल के साथ युति के रूप में काम करेंगे। भाजपा की कोशिश इस युति को प्रभावी बनाने की है और संभवत: यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के साथ हरियाणा व महाराष्ट्र में भी पसीना बहा रहे हैं।
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