Shani Jayanti and Vat Savitri fast on the same day on May 22: शनि जयंती और वट सावित्री व्रत एक ही दिन 22 मई को

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22 मई का दिन, मई के महीने में ज्योतिष एवं धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन ज्येष्ठ अमावस, भावुका अमावस, वट सावित्री व्रत तथा शनि जयंती चार चार पर्व , एक साथ पड़ रहे हैं।

ज्येष्ठ भावुका अमावस

ज्येष्ठ भावुका अमावस को श्री गंगा आदि तीर्थों पर स्नान,दान,जप, पितृपूजन,ब्राहमण भोजन, आदि कृत्यों का विशेष माहात्मय होता है।

वट सावित्री व्रत

वट सावित्री व्रत जो 22 मई, शुक्रवार को ही पड़ रहा है ,इस दिन महिलाएं ,ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से अमावस, वट वृक्ष का पूजन करके तीन दिवसीय व्रतानुष्ठान करती हेैं। यह व्रत स्त्रियों के वैधव्यादि दोषों के निराकरण एवं पुत्र व पति आदि के सुख , सुरक्षा ओेैर सौभाग्य के लिए विशेष प्रशस्त माना जाता है। बरगद का पेड़ चिरायु होता है अतः इसे दीर्घायु का प्रतीक मानकर , परिवार के लिए इसकी पूजा की जाती है।

शनि जयंती

शनि का जन्म ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि पर हुआ है। सभी 9 ग्रहों में न्यायाधीश कर्मफल प्रदाता और शनि की जयंती इस बार 22 मई, शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी। शनि जयंती हिंदू पंचांग के ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस दिन शनिदेव की पूजा की जाती है। विशेषकर शनि की साढ़े साती, शनि की ढ़ैय्या आदि शनि दोष से पीड़ित जातकों के लिये इस दिन का महत्व बहुत अधिक माना जाता है। शनि राशिचक्र की दसवीं व ग्यारहवी राशि मकर और कुंभ के अधिपति हैं। एक राशि में शनि लगभग 18 महीने तक रहते हैं। ज्योतिष में इनको तीसरी सप्तम तथा दशम दृष्टि दी गई है। शनि सबसे धीरे धीरे चलने वाला ग्रह है। शनि का महादशा का काल भी 19 साल का होता है। प्रचलित धारणाओं के अनुसार शनि को क्रूर एवं पाप ग्रहों में गिना जाता है और अशुभ फल देने वाला माना जाता है लेकिन असल में ऐसा है नहीं। क्योंकि शनि न्याय करने वाले देवता हैं और कर्म के अनुसार फल देने वाले कर्मफलदाता हैं इसलिये वे बूरे कर्म की बूरी सजा देते हैं अच्छे कर्म करने वालों को अच्छे परिणाम देते हैं।

शनि जिन्हें कर्मफलदाता माना जाता है। दंडाधिकारी कहा जाता है, न्यायप्रिय माना जाता है। जो अपनी दृष्टि से राजा को भी रंक बना सकते हैं। हिंदू धर्म में शनि देवता भी हैं और नवग्रहों में प्रमुख ग्रह भी जिन्हें ज्योतिषशास्त्र में बहुत अधिक महत्व मिला है। शनिदेव को सूर्य का पुत्र माना जाता है। मान्यता है कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या को ही सूर्यदेव एवं छाया (संवर्णा) की संतान के रूप में शनि का जन्म हुआ।

22 मई-शनि जयंती मुहूर्त

अमावस्या तिथि आरंभ – 21:35 बजे (21 मई 2020)

अमावस्या तिथि समाप्त – 23:07 बजे (22 मई 2020)

शनि जयंती पूजा विधि

सामान्यतः हमलोग शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करते है। यह पूजा कल्याणप्रद और शनि की कुदृष्टि से हमें बचाती है। शनि जयंती के दिन पूरे विधि- विधान से पूजा करना चाहिए। शनि जयंती के दिन सर्वप्रथम स्नानादि नित्य क्रिया से निवृत्य होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिजी की प्रतिमा या फोटो या एक सुपारी.रख देना चाहिए। इसके बाद उसके दोनों ओर शुद्ध तेल का दीप तथा धूप जलाना चाहिए। इस शनि देव के प्रतीक रूप प्रतिमा अथवा सुपारी को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इत्र से स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए । नैवेद्य चढाने से पहले उन पर अबीर, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करना चाहिए उसके बाद नैवेद्य, फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करना चाहिए । इस पंचोपचार पूजा के नाद इस मंत्र का जप कम से कम एक माला जरूर करना चाहिए ।

ॐ प्रां प्रीं प्रौ स: शनये नमः॥ अथवा ॐ शं शनैश्चराय नमः। मंत्र का जाप करना चाहिए। पश्चात शनि आरती करके उनको साष्टांग नमन करना चाहिए। शनि देव के पूजा करने के बाद अपने सामर्थ्यानुसार दान देना चाहिए। इस दिन पूजा-पाठ करके काला कपड़ा, काली उड़द दाल, छाता, जूता, लोहे की वस्तु का दान तथा गरीब वा निःशक्त लोगो को मनोनुकूल भोजन कराना चाहिए ऐसा करने से शनि देव प्रसन्न होते है तथा आपके सभी कष्टों को दूर कर देते हैं।

और कया करें?

शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनके प्रिय वस्तु का दान या सेवन करना चाहिए। शनि के प्रिय वास्तु है— तिल,उड़द, मूंगफली का तेल, काली मिर्च, आचार, लौंग, काले नमक आदि का प्रयोग यथा संभव करना चाहिए।अपने मता पिता, विकलांग तथा वृद्ध व्यक्ति की सेवा और आदर-सम्मान करना चाहिए। हनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।दशरथ कृत शनि स्तोत्र का नियमित पाठ करे ।कभी भी भिखारी, निर्बल-दुर्बल या अशक्त व्यक्ति को देखकर मज़ाक या परिहास नहीं करना चाहिए।शनिवार के दिन छाया पात्र (तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुंह देखकर शनि मंदिर में रखना ) शनि मंदिर में अर्पण करना चाहिए। तिल के तेल से शनि देव शीघ्र ही प्रसन्न होते है।काली चीजें जैसे काले चने, काले तिल, उड़द की दाल, काले कपड़े आदि का दान सामर्थ्यानुसार नि:स्वार्थ मन से किसी गरीब को करे ऐसा करने से शनिदेव जल्द ही प्रसन्न होकर आपका कल्याण करेंगे।पीपल की जड़ में केसर, चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें।शनिवार के दिन तिल का तेल का दीप जलाएं और पूजा करें।सूर्योदय से पूर्व शरीर पर तेल मालिश कर स्नान करें।तेल में बनी खाद्य सामग्री का दान गाय, कुत्ता व भिखारी को करें।शमी का पेड़ घर में लगाए तथा जड़ में जल अर्पण करे।मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए

शनि देव की पूजा से लाभ

मानसिक संताप दूर होता है।घर गृहस्थी में शांति बनी रहती है।आर्थिक समृद्धि के रास्ते खुल जाते है।रुका हुआ काम पूरा हो जाता है।स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या धीरे धीरे समाप्त होने लगती है।छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में सफलता मिलती है।राजनेता मंत्री पद प्राप्त करते है।शारीरिक आआलस्यपन दूर होता है।

क्या न करें ?

शनि जयंती के दिन चांदी के आभूषण खरीदकर किसी को भी उपहार के रूप में नहीं देना चाहिए, ऐसा करने से व्यक्ति कर्जदार बन जाता है।- शनि जयंती के दिन सफेद मोती खरीदकर भेट करने से यंत्रों से होने वाली दुर्घटना के योग बनने लगते हैं। जयंती पर तांबे के बर्तनों का दान करने से व्यक्ति को व्यापार में घाटा होने लगता है। चांदी, लोहे या फिर स्टील से बनी कैंची खरीदकर उपहार करने से रिश्तों में तनाव आने लगता है। लाल रंग के कपड़े खरीदकर किसी को उपहार देने पर व्यक्ति की सामाजिक छवि खराब होने लगती है।शनि जयंती के दिन सफेद रंग के कपड़े खरीद कर गिफ्ट करने पर व्यक्ति को पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है। चमेली का इत्र खरीद कर किसी को भेंट करने पर व्यक्ति अनेक रोगों से घिरने लगता है।किसी दूसरे के जूते-चप्पल नहीं पहनना चाहिए। शनि जयंती के दिन किसी को भी बिना वहज परेशान नहीं करना चाहिए और न ही झूठ बोलकर अपने कार्य सिद्ध करना चाहिए।

इस साल शनि की चाल

ज्योतिष में न्याय के देवता शनिदेव माने गए हैं। ऐसे में कोरोना के प्रमुख कारक ग्रह कहे जा रहे शनि 11 मई 2020से 29 सितम्बर 2020 तक मकर राशि में वक्री अवस्था में गोचर करेंगा।वहीं वर्ष 2020 में ही शनि 27 दिसम्बर को अस्त भी हो जाएंगे, शनि के अस्त होने के साथ ही उसके प्रभाव कुछ कम हो जाएंगे। धनु और मकर राशि में पहले से ही शनि की साढ़े साती का प्रभाव चल रहा था। ऐसे में अब कुम्भ राशि पर भी शनि की साढ़े साती का पहला चरण शुरु हो जाएगा। शनि मकर और कुम्भ दो राशियों के स्वामी हैं। शनि की दो राशियों में से एक राशि मकर में शनि का गोचर होने जा रहा है वहीं शनि की दूसरी राशि कुम्भ शनि की स्व-राशि और मूल त्रिकोण राशि है।शनि की मकर राशि में वक्री चाल केवल मकर राशि वालों को ही नहीं वरन सभी 12 राशियों पर अपना विशेष असर छोड़ेगा। लेकिन ये भी जरूरी नहीं कि शनि की ये चाल आपको परेशान ही करें अगर आपकी कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में हैं तो शनि की वक्री चाल आपको कष्ट नहीं देगी। आईये जानते हैं शनि का ये गोचर आप सभी के व्यवसाय, नौकरी,विवाह, प्रेम, संतान, शिक्षा और स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

च्ंाद्र राशि के अनुसार शनि का आप पर कैेसा रहेगा प्रभाव ?

1. मेष :

मेष राशि में शनि दशम और एकादश भाव का स्वामी हो कर राशि से दशम भाव यानि कर्म भाव में ही गोचर करेगा। इस गोचर में आपकी मेहनत और संघर्ष बहुत बढ़ जाएगा। शनि के वक्री होने की वज़ह से नये काम में रुकावट आ सकती हैं और जिस लाभ की आशा कर रहे थे वह भी समय से नही मिल पाएगा। घर से जुड़े किसी कार्य में धन का खर्च हो सकता है ।

उपाय: महाराज दशरथ कृत नील शनि स्तोत्र का पाठ करने के अलावा शनिवार को शाम के समय पीपल वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक रखें।

2. वृषभ :

शनि का भाग्य स्थान में गोचर होने से पिता के साथ कुछ मतभेद हो सकता है। आपको उनकी सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। कार्य-स्थल में मेहनत अधिक होने के बाद लाभ के आसार कम नज़र आ रहे हैं। सब्र और धैर्य से ही काम करें तो बेहतर रहेगा। प्रमोशन के बारे सोच रहे हैं तो ये शनि का गोचर अभी और इंतज़ार करवायेगा।

उपाय: शनि मंत्र का जाप करें।

3. मिथुन :

अष्टम भाव में शनि का प्रभाव होने से अचानक ही परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं। आर्थिक स्थिति भी कुछ कमजोर नज़र आ रही है और धन से जुड़े कार्य में भी ये शनि आय व लाभ में कमी करेगा। शनि के आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर करने से कभी–कभी खुद को भ्रमित सा महसूस करोगे। अगर किसी महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय ऐसा हो तो किसी सीनियर की सलाह लें या कुछ समय के लिए टाल दें तो बेहतर रहेगा।

उपाय: शनिवार या फिर शनि प्रदोष का व्रत रखें। साथ ही शनिवार के दिन काले कपड़े पहनने से बचें।

4. कर्क :

कर्क राशि में शनि सप्तम और अष्टम भाव का स्वामी हो कर आपकी राशि से सप्तम भाव यानि विवाह भाव में ही गोचर करेंगे। किसी महिला मित्र की वज़ह से आपको फायदा होगा। आलस को अपने से दूर ही रखें क्योंकि आलसी लोगों को शनि शुभ फल नही देते हैं। अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें , बीमारी परेशान कर सकती है। किसी से वाद-विवाद भी हो सकता हैं जिसको सुलझाने में आपका धन खर्च हो सकता है, सावधान रहने की जरुरत है।

उपाय: हर शनिवार को सरसों का तेल किसी लोहे या मिट्टी के बर्तन में भरकर उसमें अपनी शक्ल देखकर छाया पात्र दान करें।

5. सिंह:

किसी ज़मीन में निवेश करने की सोच रहे हैं तो बहुत ही सोच समझ कर करें, नहीं तो वर्ष के मध्य में आपके साथ धोखा हो सकता है। किसी अच्छे पद की चाहत में जल्दबाज़ी न करें। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्यायें दिखाई दे रही हैं। किसी पुरानी बीमारी की वज़ह से मानसिक तनाव बना रहेगा।

उपाय: शनिवार के दिन साबुत काली उड़द का दान करने के अलावा पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दीपक शाम को जलाएं।

6. कन्या राशि :

रुकी हुई शिक्षा को दोबारा शुरु कर सकते हैं या किसी शोध में भी खोज कर सकते हैं। शनि की स्थिति आपकी सोच को गंभीर बना देगी, जिससे आप बहुत ही गहराई में जा कर कोई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। आभूषण भी ख़रीद सकते हैं। वाहन और घर से जुड़े खर्चे के लिए साल के मध्य का समय बेहतर नही है।

उपाय: आपको शनि प्रदोष का व्रत रखें।

7. तुला :

व्यापार में शनि नये अवसर देगा, लेकिन किसी तरह का अहम आपके लिए नुकसान का कारण भी बन सकता है। किसी के कहने से कोई बड़ा निवेश न करें और न ही वर्ष के मध्य में भूमि में निवेश के बारे में सोचें। शनि के वक्री होने से माता से भी किसी तरह का मतभेद बना रहेगा। क्योंकि इस वज़ह से आपको मानसिक रुप से भी कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय: किसी जानकार की सलाह पर रत्न धारण करें।

8. वृश्चिक :

कोई नया काम करने की सोच रहे हैं तो यह समय कार्य के लिए बेहतर रहेगा। आर्थिक स्थिति भी सामान्य बनी रहेगी और कार्य में आर्थिक स्थिति को लेकर कोई रुकावट नहीं आएगी। माता से किसी बात को लेकर वाद-विवाद हो सकता है। किसी मित्र की सहायता से आपके रुके काम सुचारु रुप से बनने लगेंगे लेकिन उसी मित्र के साथ किसी नये काम की शुरुआत न करें।

उपाय: शनिवार के दिन चीटियों को आटा डालें।

9. धनु :

धनु राशि में शनि दूसरे और तृतीय भाव का स्वामी हो कर आपकी राशि से दूसरे भाव यानि संपत्ति भाव में गोचर करेगा। कोई भी नया कार्य पूरी तरह से ध्यान लगा कर ही शुरु करें, तभी यह शनि आपको सफलता दिलाएगा। शनि की साढ़े-साती का आखिरी चरण होने से ये शनि जाते जाते आपको सोने की तरह तपाकर उजला बना देगा।आपका कोई काम नही रुकेगा। ज़मीन से जुड़ा कोई फायदा ये शनि आपको दे सकता है।

उपाय: आपको शनिवार के दिन किसी काले कपड़े अथवा काले धागे में धतूरे की जड़ धारण करें।

10. मकर :

इस गोचर से मानसिक परेशानी तो बनी रहेगी पर शनि के अपनी ही राशि में गोचर करने से इस मानसिक तनाव से लड़ने की प्रेरणा भी यही शनि ही देगा। इस गोचर से आपकी निर्णय शक्ति में संतुलन और गहराई आएगी और आपको अपनी नई मंज़िल मिलेंगी। आर्थिक स्थिति में भी लाभ बना रहेगा।

उपाय: शनिदेव की आराधना भी करें।

11. कुंभ :

कुम्भ राशि में शनि बारहवें और प्रथम भाव का स्वामी हो कर इस समय शनि आपकी राशि से बारहवें भाव यानि व्यय भाव में गोचर करेगा। जिससे आपकी राशि में संघर्ष व मेहनत बढ़ जाएगी और आपको अपनी जिंदगी की हकीक़त पता चलेगी। इस समय में आपके अपने दूर जाने लगेंगे और कुछ ऐसे रिश्ते करीब आएंगे, जिसके बारे में आपने कभी सोचा भी नहीं था।नौकरी को बदलने के लिए समय बेहतर नही है।

उपाय: शनि देव के बीज मंत्र ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ का जाप करें।

12. मीन :

आलस को अपने पर हावी न होने दें नहीं तो बहुत ही महत्वपूर्ण अवसरों से वंचित रह जाओगे। व्यापार से जुड़े बहुत से नये अवसर आएंगे और आपको आगे बढ़ने का का मौका मिलेगा। आप कुछ नया कर दिखाओगे। समाज में भी आपकी नई पहचान बनेगी। सेहत के हिसाब से यह गोचर बेहतर रहेगा। आपकी आर्थिक स्थिति में भी आपके माता पिता आपकी मदद करेंंगे।

उपाय: आपको शनिवार के दिन शुभ शनि यंत्र की पूजा करें।

मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, 196, सैक्टर 20ए,चंडीगढ़, मो-9815619620

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